नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि कश्मीर आज फिर से भारत का अभिन्न अंग बनकर विकास की राह में अग्रसर है। उन्होंने कहा, कि वहां लोकतंत्र पुनः स्थापित हुआ है, और हमें विश्वास है कि जो कुछ हमने गंवाया था, वह जल्द ही वापस प्राप्त कर लेंगे।
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कश्मीरी, डोगरी, बालटी और झंस्कारी जैसी भाषाओं को शासन की स्वीकृति दी गई है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता को दर्शाती है। शाह ने कहा, कि यूनियन टेरिटरी बनने के बाद कश्मीर की स्थानीय भाषाओं को संरक्षित करना हमारी प्राथमिकता रही है। यह प्रधानमंत्री के कश्मीर के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को दिखाता है। कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।
केंद्रीय मंत्री शाह ने इतिहासकारों से आग्रह किया कि वे प्रमाण के आधार पर इतिहास लिखें। उन्होंने कहा, कि इतिहास लुटियन दिल्ली में बैठकर नहीं लिखा जाता। उसे समझने के लिए संबंधित स्थान पर जाना पड़ता है। भारत को समझने का प्रयास तभी सच्चा हो सकता है, जब इसकी सांस्कृतिक परंपरा को गहराई से समझा जाए। गृहमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की अखंडता हमारी सांस्कृतिक विरासत से परिभाषित होती है।
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