नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ में 19 दिसंबर से प्रस्तावित विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले सीएम विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल के विस्तार होने की अटकलों के बीच छत्तीसगढ़ में नो रिपीट वाला गुजरात मॉडल लागू किए जाने की चर्चा दिल्ली में चल पड़ी है। छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश और राजस्थान में सीएम के चुनाव में इसका असर भी दिखा है।
बता दें कि सीएम विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा के साथ इस वक्त दिल्ली में पार्टी दफ्तार में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर के साथ कैबिनेट विस्तार में शामिल होने वाले नामों पर मंथन कर रहे हैं।
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगर छत्तीसगढ़ में गुजरात मॉडल वाला नो रिपीट वाला फार्मूला लागू हुआ तो मंत्री बनने की दौड़ में शामिल कई पूर्व मंत्रियों को विधायक का पद ही नसीब होगा। उन्हें मंत्री पद की दौड़ से बाहर किया जा सकता है। इनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
गुजरात में लागू किया गया था नो रिपीट फार्मूला
बता दें कि भाजपा ने गुजरात में चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष सभी को बदल दिया था। सभी की जगह नए चेहरों को स्थान दिया था। गुजरात को भाजपा की सियासी प्रयोगशाला माना जाता है। यही वजह है कि 25 सदस्यों वाली गुजरात सरकार में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित नौ मंत्री पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर आए थे और उन्हें कैबिनेट में शामिल होने का मौका मिल गया।
गुजरात में बीजेपी का यह ‘नो रिपीट फार्मुला’ सफल भी रहा। दिल्ली के सूत्रों के अनुसार भाजपा के बड़े नेता बार-बार यह संकेत दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में भी पार्टी गुजरात माडल लागू कर सकती है। ऐसे में कई पूर्व मंत्रियों को शायद ही मंत्री बनने का अवसर मिले।
मंत्री पद की दौड़ में ये पूर्व मंत्री शामिल
बता दें छत्तीसगढ़ में विधानसभा सीटों के हिसाब से मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री ही हो सकते हैं। अब तक मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्री नियुक्त हो चुके हैं। बाकी 10 को मंत्री बनाना है मगर दावेदार 15 से अधिक है। मंत्री पद के दावेदारों में जिनके नाम शामिल बताए जा रहे हैं उनमें पूर्व मंत्री रामविचार नेताम, रेणुका सिंह, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, पुन्नूलाल मोहले, दयालदास बघेल, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, केदार कश्यप, लता उसेंडी प्रमुख हैं। इनमें से कुछ को क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक समीकरण के हिसाब से मंत्री मंडल में जगह मिल सकती है। बाकी नए नामों में विचार किया जा रहा है, जो चौंकाने वाले हो सकते हैं।
नए चेहरे –
1 ओपी चौधरी महामंत्री
2 किरण देव महामंत्री
3 गोमती साय
4 मोतीलाल साहू
5 आसाराम नेताम
6 खुशवंत गुरु साहिब
7 डीएल कोरसेवाड़ा
8 अनुज शर्मा
9 पुरंदर मिश्रा
10 भावना वोहरा
11 राजेश अग्रवाल
12 रिकेश सेन