Diwali 2024: भारत में दीपावली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. दिवाली का यह पर्व हर वर्ष की तरह इस बार भी पूरे देश में खुशियों की रोशनी लेकर आया है. घरों की सजावट में नयापन और दियों की जगमगाहट ने हर गली और मोहल्ले को रोशन कर दिया है. पूरा हिंदुस्तान दियों से जगमग हो उठा है. हर घर, हर गली दीयों और रोशनी से सज उठे हैं, और लोगों के चेहरों पर इस पावन त्योहार की खुशी झलक रही है. इस पर्व का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है, जिसमें मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है. लोग घरों में सजावट करते हैं और हर कोने को दीयों से सजा कर वातावरण को मंगलमय बनाते हैं.
इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे शुरू हुई और यह 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे समाप्त होगी. इसी दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त तय किए गए हैं. महानिशीथ काल का विशेष मुहूर्त आज रात 11:39 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा, जिसमें लक्ष्मी पूजन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है.
देश में दिवाली की धूम
नीचे की तस्वीर तमिलनाडु के मुुदैर की है. दिवाली के मौके पर मदुरै से ड्रोन से ली गई तस्वीरों में शहर में पटाखे फोड़ते हुए लोग दिवाली मनाते हुए दिखाई दे रहे हैं
पूजा का विशेष मुहूर्त
दिवाली के दिन पूजन का शुभ समय हर वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग रखा गया है, ताकि सभी अपनी परंपराओं का पालन करते हुए विधिपूर्वक पूजा कर सकें. परिवार के साथ पूजा का समय शाम 5:30 बजे है, जबकि डॉक्टर और इंजीनियर समुदाय के लिए यह 6:30 बजे निर्धारित है. इसी प्रकार, व्यापारियों, शिक्षकों, और संगीत कलाकारों के लिए भी अलग-अलग मुहूर्त हैं. व्यापार और उद्योग से जुड़े लोगों के लिए रात 11:30 बजे का समय लक्ष्मी पूजन के लिए उत्तम माना गया है, ताकि धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो.
महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन
दिवाली पूजन के लिए महानिशीथ काल का विशेष महत्व होता है. इस साल महानिशीथ काल का मुहूर्त रात 11:39 बजे से शुरू होकर 12:30 बजे तक चलेगा. इस काल में लक्ष्मी पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
पूजन विधि
दिवाली के दिन सुबह स्नान करके सर्वप्रथम देवी-देवताओं का आह्वान करें. शाम को लक्ष्मी पूजन के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. सबसे पहले अपने ऊपर पवित्र जल का छिड़काव करके शुद्धिकरण करें. इसके बाद सामग्री पर भी जल छिड़ककर उन्हें शुद्ध करें. पूजन स्थल पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और माता सरस्वती की मूर्तियों को स्थापित करें. फिर दीप जलाकर संकल्प लें और विधिपूर्वक पूजा करें.