Dharsiwa. धरसींवा। महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग और बाल संरक्षण इकाई की संयुक्त टीम ने धरसींवा क्षेत्र में श्रमिक कॉलोनी और एक फैक्ट्री में छापेमारी कर बाल श्रमिकों को मुक्त कराया। इस कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मच गया है। टीम में तहसीलदार धरसींवा बाबूलाल कुर्रे, महिला पुलिस अधिकारी नंदिनी ठाकुर और महिला एवं बाल विकास अधिकारी संजय निराला सहित कई अधिकारी शामिल थे।
फैक्ट्री में काम करते मिले बाल श्रमिक
संयुक्त टीम को सूचना मिली थी कि धरसींवा क्षेत्र की एक औद्योगिक इकाई में नाबालिग बच्चों और महिला मजदूरों से अवैध तरीके से अधिक घंटे काम कराया जा रहा है। शुक्रवार को टीम ने अचानक फैक्ट्री में छापा मारा। निरीक्षण के दौरान टीम ने देखा कि कुछ नाबालिग बच्चे मशीनों के पास कार्यरत हैं। यह देखकर टीम ने उन्हें तुरंत वहां से हटाया और सुरक्षित स्थान पर भेजा। बच्चों से पूछताछ में सामने आया कि उन्हें रोजाना 12 घंटे तक काम कराया जाता था, और कम मजदूरी दी जाती थी।
महिलाओं को ₹370, पुरुषों को ₹450 मजदूरी
श्रमिकों ने बताया कि लेबर ठेकेदार तिवारी के माध्यम से वे फैक्ट्री में काम करते हैं। उन्हें रोजाना महिलाओं को ₹370 और पुरुषों को ₹450 मजदूरी दी जाती है। जबकि श्रम विभाग के नियमों के अनुसार, 8 घंटे कार्य की मजदूरी ₹430 तय है। इसके बाद 4 घंटे ओवरटाइम करने पर डबल दर से भुगतान होना चाहिए — यानी कुल ₹860 प्रतिदिन। इस प्रकार ठेकेदार द्वारा मजदूरों से अधिकारों का हनन और शोषण किया जा रहा था।
श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन
मौके पर मौजूद श्रम निरीक्षक ने कहा कि निरीक्षण में साफ तौर पर श्रम कानूनों का उल्लंघन पाया गया है। मजदूरों से निर्धारित समय से अधिक काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें उचित वेतन नहीं दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि ठेकेदार न तो ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा योजना) और न ही PF (भविष्य निधि) जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं दे रहा है। कई मजदूर बिना किसी लिखित अनुबंध के काम कर रहे थे।
बाल श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता
महिला एवं बाल विकास अधिकारी संजय निराला ने बताया कि छापे के दौरान बाल श्रमिकों का पाया जाना गंभीर मामला है। फैक्ट्री में बच्चों को खतरनाक मशीनों के पास काम करने के लिए लगाया गया था, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा था।
उन्होंने कहा- “हमने बाल श्रमिकों को तत्काल वहां से हटाकर बाल संरक्षण इकाई की निगरानी में भेज दिया है। आगे की जांच के बाद उनके परिजनों की पहचान की जाएगी और पुनर्वास की कार्रवाई की जाएगी।”
प्रशासन ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी
तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे ने बताया कि फैक्ट्री में श्रम कानून, बाल श्रम निषेध अधिनियम और महिला सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन पाया गया है। उन्होंने कहा कि दोषी ठेकेदार तिवारी और फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जा रही है। “जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फैक्ट्री की श्रमिक पंजी और रिकॉर्ड की जांच भी की जा रही है,” उन्होंने बताया।
पिछले कई महीनों से चल रही थी शिकायतें
स्थानीय श्रमिक संगठनों ने बताया कि इस फैक्ट्री से पिछले कई महीनों से श्रम शोषण और बाल मजदूरी की शिकायतें मिल रही थीं। मजदूरों को अधिक घंटे काम कराया जाता था, लेकिन भुगतान तय दर से कम किया जाता था। इसके अलावा, कई मजदूरों को सप्ताहिक अवकाश या चिकित्सा अवकाश जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती थीं।
प्रशासन की संयुक्त टीम की तत्परता
इस कार्रवाई में महिला पुलिस अधिकारी नंदिनी ठाकुर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिला मजदूरों से अलग से बातचीत की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि कई महिला श्रमिकों ने काम के दौरान सुरक्षा उपकरणों की कमी और लंबे कार्य घंटों को लेकर शिकायत की। प्रशासन ने मौके पर सभी मजदूरों का बयान दर्ज किया और फैक्ट्री के दस्तावेज जब्त किए। महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग और बाल संरक्षण इकाई ने बताया कि पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर फैक्ट्री मालिक और लेबर ठेकेदार के खिलाफ बाल श्रम निषेध अधिनियम, श्रम कानून उल्लंघन और मानवाधिकार हनन के तहत केस दर्ज किया जाएगा।
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