रायपुर। राजधानी की अदालत ने नशे के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए तीन नशे के सौदागरों को कठोर दंड सुनाया है। विशेष एनडीपीएस न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को 15-15 साल का कठोर कारावास और प्रत्येक पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया। यह फैसला नशे के बढ़ते कारोबार के खिलाफ पुलिस और न्यायपालिका दोनों की सख्त कार्यवाही का उदाहरण माना जा रहा है।
दरअसल, यह मामला पिछले साल 25 मई 2023 का है। उस दिन रायपुर पुलिस ने सिविल लाइन थाना क्षेत्र के सुप्रीत इन होटल में दबिश देकर तीन युवकों को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए युवकों की पहचान सिद्धार्थ जैन और शिवम तिवारी (दोनों भोपाल निवासी) तथा आदित्य लोखंडे (रायपुर निवासी) के रूप में हुई थी। पुलिस ने तीनों के पास से बड़ी मात्रा में नशीली चरस बरामद की थी। तलाशी के दौरान सिद्धार्थ जैन से 26 ग्राम, शिवम तिवारी से 25 ग्राम और आदित्य लोखंडे से 61 ग्राम चरस जब्त की गई थी। कुल मिलाकर पुलिस ने 112 ग्राम चरस की खेप बरामद की थी, जिसे वे खपाने की फिराक में होटल में ठहरे हुए थे।
गिरफ्तारी के बाद सिविल लाइन थाने में एनडीपीएस एक्ट की धारा के तहत अपराध क्रमांक 263/23 दर्ज किया गया। जांच के दौरान पुलिस ने सबूतों को अदालत में प्रस्तुत किया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए विशेष न्यायालय ने सुनवाई की और बुधवार को अपना निर्णय सुनाते हुए तीनों आरोपियों को कठोर दंड दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि नशे का अवैध कारोबार समाज के लिए बेहद घातक है। यह युवा पीढ़ी को बर्बादी की ओर धकेल रहा है और अपराध की जड़ें भी इसी से मजबूत होती हैं। ऐसे में तस्करों को किसी भी तरह की रियायत देना समाजहित में नहीं होगा। अदालत ने माना कि आरोपी चरस का अवैध व्यापार कर रहे थे और उनके खिलाफ लाए गए सबूत पूरी तरह से आरोप सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं। इस मामले में विशेष बात यह भी रही कि आरोपी किसी गली-नुक्कड़ पर नहीं, बल्कि शहर के एक होटल में ठहरे हुए थे और वहां से नशे का सौदा कर रहे थे। यह बताता है कि किस तरह नशे के सौदागर अब होटल और रिहायशी इलाकों में भी सक्रिय हो चुके हैं। पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान होटल प्रबंधन को भी सख्त हिदायत दी थी कि भविष्य में संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना तुरंत दी जाए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज यह प्रकरण राजधानी में नशे के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता है। तीनों तस्करों को 15-15 साल की सजा और भारी जुर्माना मिलना अन्य तस्करों के लिए भी चेतावनी है। पुलिस ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे नशे से संबंधित किसी भी गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें, ताकि समाज को इस घातक प्रवृत्ति से बचाया जा सके। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में बीते कुछ समय से नशे का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ा है। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद कुछ नेटवर्क शहरों और कस्बों में सक्रिय पाए जाते हैं। ऐसे में अदालत का यह सख्त फैसला न केवल रायपुर बल्कि पूरे प्रदेश में नशा माफिया के खिलाफ मजबूत संदेश देने वाला माना जा रहा है। इस मामले में तीनों दोषियों को अब अगले 15 साल जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा। साथ ही डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी अदा करना होगा। जुर्माना न भरने की स्थिति में उनकी सजा और बढ़ सकती है। अदालत का यह फैसला साफ तौर पर बताता है कि नशे के कारोबार में लिप्त लोगों के लिए अब कोई ढील नहीं दी जाएगी। आने वाले समय में ऐसे मामलों में और भी सख्त कार्यवाही होने की उम्मीद है।
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