बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि नाजायज संतान भी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार हो सकती है। कोर्ट ने एसईसीएल के मृत कर्मचारी मनीराम कुरें के नाजायज पुत्र विक्रांत कुमार को अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश को सही ठहराया है। यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने सुनाया, जिसने सिंगल बेंच के निर्णय को बरकरार रखा।
सिंगल बेंच ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया था कि भले ही विक्रांत मनीराम कुरें का नाजायज पुत्र हो, फिर भी वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मृतक कर्मी की पहली पत्नी विमला की सहमति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति के लिए केवल नाजायज संतान का हक बनता है। डिवीजन बेंच ने विक्रांत कुमार को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि मनीराम कुरें, जो एसईसीएल के आर्म गार्ड थे, 25 मार्च 2004 को निधन हो गए थे। उनकी पहली पत्नी विमला से तीन बेटियां हैं, जबकि दूसरी पत्नी सुशीला से विक्रांत और एक बेटीहैं। अब हाई कोर्ट के इस फैसले से नाजायज संतान के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण रास्ता साफ हुआ है।