रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन ने बकाया भुगतान नहीं करने पर आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी दी है। राइस मिलर्स एसोसिएशन ने कहा है कि उन्हें पिछले तीन वर्षों से कस्टम मिलिंग, प्रोत्साहन राशि, बरदान, ट्रांसपोर्टेशन और FRK इत्यादि के मद में बकाया भुगतान नहीं किया गया है। इस स्थिति से राज्य के करीब 90% मिलर्स जो सूक्ष्म और लघु उद्योग श्रेणी में आते हैं, भारी मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
मिलर्स का कहना है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन, बकाया राशि का भुगतान किए बिना, उन्हें जबरिया कस्टम मिलिंग के लिए दबाव बना रहे हैं। इस स्थिति में कई मिलर्स इतने मानसिक दबाव में हैं कि वे किसी अप्रिय आत्मघाती कदम तक उठाने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
उद्यमियों के इस संकट के बीच एक सवाल यह भी उठता है कि जब मिलर्स को उनकी बकाया राशि नहीं मिल रही है, तो छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत घोषित विभिन्न छूट कितने वर्षों बाद उन्हें मिलेंगी? इसने छोटे उद्योगों को बेहद निराश किया है, और यह स्थिति भारत में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के बजाय उसे हतोत्साहित कर रही है।
इसके अलावा, राज्य सरकार पर यह भी आरोप है कि उसे केंद्र सरकार से विशेष अनुदान मांगने या कर्ज लेने के बजाय, चुनावी घोषणाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जिसके कारण आर्थिक संकट गहरा गया है।
इस मुद्दे पर राइस मिलर्स ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह मामले में स्वतः संज्ञान लेकर छत्तीसगढ़ सरकार को आदेश दे, ताकि मिलर्स को बकाया राशि का तत्काल भुगतान किया जा सके।