नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए इस समय पाकिस्तान में हैं। विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, “एससीओ सीएचजी की बैठक सालाना आयोजित की जाती है और इसमें संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं।” इस बीच, मंत्री जयशंकर ने इस्लामाबाद में एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक को संबोधित किया।
विदेश मंत्री ने आतंकवाद मुद्दे पर पाकिस्तान को फटकारा
बता दें कि, एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान, एस. जयशंकर ने आतंकवाद और अलगाववाद में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि, “आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से बचना ज़रूरी है। बेहतर संबंधों के लिए विश्वास ज़रूरी है और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना ज़रूरी है।” एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, “विकास को प्रभावित करने वाली कई बाधाएँ हैं, जिनमें जलवायु मुद्दे, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान और वित्तीय अस्थिरता शामिल हैं।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, “एससीओ का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है, जो वर्तमान संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एससीओ को इन तीन बुराइयों से निपटने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना चाहिए।”
जयशंकर बोले – सबकी संप्रभुता का सम्मान जरूरी
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का स्वागत किया। उन्होंने साझा मुद्दों को सुलझाने में एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, साथ ही क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को भी मान्यता देनी चाहिए। इसे एकतरफा एजेंडे के बजाय वास्तविक साझेदारी पर स्थापित किया जाना चाहिए। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का जिक्र करते हुए, मंत्री जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि अगर हम व्यापार और वाणिज्यिक मार्गों के लिए केवल वैश्विक प्रथाओं को आगे बढ़ाते हैं, तो शंघाई सहयोग संगठन (SCO) प्रगति नहीं कर पाएगा।
2015 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की घोषणा की गई थी। यह परियोजना पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के क्षेत्र से होकर गुज़रती है, जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है। CPEC का प्राथमिक उद्देश्य खाड़ी देशों से बंदरगाहों, रेलवे और सड़कों के ज़रिए चीन तक तेल और गैस के परिवहन को सुगम बनाना है, जिससे समय और लागत दोनों में कमी आए।