जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में नई सरकार के लिए माओवादी बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। सरकार गठन के साथ ही मावोवादियो ने इस ओर इशारा भी कर दिया है। सिलसिलेवार घटनाएं यह बताती हैं कि सरकार के माओवादियों के खिलाफ रूख ने माओवादियों को और आक्रामक कर दिया है।
लंबे समय से खामोश बैठे माओवादियों ने प्रतिरोध सप्ताह के बहाने बस्तर के हर हिस्से में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। और एक तरह से यह सरकार को चुनौती देने जैसा है।
विश्वास, विकास और सुरक्षा की त्रिवेणी योजना के नाम पर शांत चल रहे बस्तर में अचानक सरकार गठन के कुछ दिनों के भीतर ही माओवादी हिंसा चौतरफा बढ़ गई है। सवाल यह उठा है कि आखिर क्या हुआ कि जिसकी वजह से माओवादियों ने एक के बाद एक बस्तर के हर कोने में घटनाओं को अंजाम दिया है।
पिछले कुछ दिनों में नई सरकार बनने के बाद नक्सली घटनाओं पर विष्णु देव साय ने सख्ती से निपटने के निर्देश पुलिस को दिए थे। पुलिस ने भी ऑपरेशन लॉन्च किया, लेकिन इस दबाव को दरकिनार करते हुए
माओवादियों ने एक के बाद एक कई घटनाओं को अंजाम दिया। सिलसिले हुए हमले और मुठभेड़ में बीते हफ्ते से अब तक दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है। जबकि एक महीने के अंदर 30 से अधिक वारदातें दर्ज की जा चुकी हैं। वही सात लोगों की नक्सली हिंसा में मौत हो चुकी है।
नक्सलियों का यह तांडव दिसंबर महीने में सर्वाधिक दिखाई दिया। इस तरह बस्तर के हर कोने हिंसक घटनाएं घटना दिखाई दी। दंतेवाड़ा जो अपेक्षाकृत शांत माना जा रहा था यहां भी माओवादियों ने उत्पात मचाते हुए सड़क निर्माण में लगे वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
मामला यहीं नहीं थमा। इसके बाद पुलिस ने 10 से अधिक माओवादियों सहयोगियों को गिरफ्तार किया, लेकिन फिर इसके बाद एनएमडीसी के प्लांट में माओवादियों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया।
सुकुमा बीजापुर नारायणपुर में आईडी विस्फोटों के साथ हत्याओं और सड़क मार्ग अवरुद्ध करने की घटनाएं आम है। माओवादियों ने झारखंड, तेलंगाना में अपने नेताओं की गिरफ्तारियां पर प्रेस नोट जारी करते हुए 22 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।
प्रारंभिक तौर पर तेज हो रही घटनाओं को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। बीते 24 घंटे में माओवादीयों ने दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों में देर रात वाहनों में आगजनी करने के साथ यात्रियों से भारी गाड़ियों को घंटो रास्ते पर रोके रखा पर जिस तरह से घटनाएं बढ़ी हैं उससे ऐसा लगता है कि माओवादियों ने छत्तीसगढ़ सरकार को सीधी चुनौती दी है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री के बयान के बाद पुलिस ने 22 के करीब लोगों को गिरफ्तार किया था वहीं कुछ जगह मुठभेड़ की घटनाएं हुई है। पुलिस के पास सबूत नहीं है ऐसे में बस्तर में नक्सलियों के निशाने पर छत्तीसगढ़ की नई सरकार नजर आ रही है।