मो. रमीज राजा (सूरजपुर)
रामानुजनगर। राजनीतिक का गढ़ कहे जाने वाले रामानुजनगर विकास खंड के विकास खंड स्रोत समन्वय कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी के रिटायर होने के बाद कार्यालय में बगैर किसी आदेश के सेवा दे रहे है। बल्कि अन्य कर्मचारियों को परेशान भी किया जा रहा है। जिसका विरोध कर्मचारी दबी जबान में कर रहे, राजनीति पहुंच होने के कारण खुल कर नही कर पा रहे है।
गौरतलब है कि रामानुजगर विकास में कुछ शिक्षक अपने स्कूलों में पढाना लिखाना छोड़ कर विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बीआरसी कार्यालय में दिन भर बैठ कर समय व्यतीत कर रहे हैं। इसके साथ राजनीतिक पहुंच बता कर विकास खंड मुख्यालय के पास में ही नियम विरुद्ध तरीके से स्कूलों में अटैच कराकर रखे हुए है। जिन्हे सप्ताह में कभी कभार ही स्कूल जाकर हाजरी भरने का जहमत उठा रहे है। इसी तरह से एक शिक्षक जिसकी नियुक्ति स्कूल में पढ़ाने के लिए हुई थीं। इस शिक्षक ने कभी भी स्कूल जाकर चाक ब्लैक बोर्ड में कभी नही किया ना तो कभी एक पाठ बच्चो को पढ़ाया बल्कि राजनीतिक गलियारों से पहुंच होने के कारण हमेशा ही वर्ष 1996 से ही विकास खंड स्रोत समन्वय की कुर्सी संभालते रहे है।
अफसरों के करीबी बने रहे इन वर्षो के अंतराल में कई दफा बीआरसी की नियुक्ति हुई तो इनके द्वारा सहायक के तौर पर अलग अलग पदों पर आसीन होकर कार्य नही छोड़ा, सूत्र बताते है कि इनका गणित विषय में काफी रुचि था हिसाब किताब, बनाने, मैनेजमेंट में काफी आगे हुआ करते थे जिस कारण इतने लम्बे समय तक उधार की कुर्सी में बने हुए थे। शासन द्वारा जारी नियमों के अनुसार इनका सर्विस का कार्यकाल 30 सितम्बर को पूर्ण हो गया, अधीनस्थ कर्मचारियों, शिक्षको ने भाव विनी विदाई देते हुए घर में टेंशन मुक्त जीवन जीने की सलाह के साथ आशीर्वाद भी दी किंतु इन्हें घर में बैठना बेहतर नही लगा,
इनके द्वारा जेडी कार्यालय में सेवा अवधि बढ़ाने के लिए पत्र भी लिखा जिसके बाद भी अवधि नही बढा है। पूर्व बीआरसी अपने बचे हुए शेष कार्य, बिल, लेन देन का हिसाब किताब लगाने कार्यालय प्रतिदिन पहुंच रहे है। इनके आने से वर्तमान में कार्यरत अफसर नाक सिकुड़ने लगे है। अफसर खुल कर विरोध तो नही कर पा रहे है किंतु रोष है। बल्कि शिक्षा विभाग से जुड़े समूचा विकास खंड के कर्मचारी के बीच रिटायर होने के बाद भी कार्यालय आने से कई तरह की चर्चाएं व्यापत है। इस ओर जिले के आला अफसरों को संज्ञान लेकर देखना चाहिए किंतु वो भी मौन सांधे हुए है। अब देखना है कि सूबे की नहीं हुकूमत, नए वजीर आजम इस मामले को कितना गंभीरता से लेते है।