मुंबई। महाराष्ट्र के नागपुर में 17 मार्च को भड़की हिंसा में बांग्लादेश कनेक्शन का पता चला है। नागपुर पुलिस की साइबर सेल ने बांग्लादेश से संचालित फेसबुक अकाउंट की पहचान की है। इस अकाउंट से नागपुर में बड़े पैमाने पर दंगा भड़काने की धमकी दी गई। बांग्लादेश से संचालित फेसबुक अकाउंट से जारी पोस्ट में धमकी दी गई कि सोमवार को हुआ दंगा तो सिर्फ एक छोटी घटना है। भविष्य में और बड़े दंगे होंगे। साइबर सेल की जांच में पता चला कि ये धमकी भरा पोस्ट बांग्लादेश निवासी नवाज खान पठान ने किया। उसने पोस्ट में कहा कि इस बार सिर्फ हमला किया है। अगली बार तुम्हारे घरों में घुसेंगे और तुम्हारी औरतों को उठाएंगे। इस पोस्ट को कई अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया पर साझा किया है।
साइबर विभाग ने सांप्रदायिक अशांति भड़काने के उद्देश्य से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री वाले 140 से अधिक पोस्ट और वीडियो की पहचान की है। साथ ही अफवाह फैलाने और हिंसा भड़काने के मामले में 34 सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्रवाई की गई है। इसके अलावा विभाग ने फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब अधिकारियों से उनके प्लेटफॉर्म पर 230 प्रोफाइल के बारे में जानकारी मांगी है और उन्हें ब्लॉक करने की मांग की है। हिंसा में अब तक 91 लोग गिरफ्तार गिए गए हैं।
कमलेश तिवारी हत्याकांड का आरोपी भी पुलिस के रडार पर
नागपुर शहर में भड़की हिंसा में पुलिस को कई अहम सुराग मिले हैं। पुलिस को हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान की गिरफ्तारी के बाद एक और शख्स की तलाश है जिसका नाम सैयद असीम अली है। असीम अली लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया था। नागपुर पुलिस ने असीम की तस्वीर भी जारी की है। खुफिया जानकारी में यह बात सामने आई है कि नागपुर हिंसा से पहले तीन स्थानों पर गुप्त बैठक हुई थी। इस बैठक में समाज में पकड़ रखने वाले चुनिंदा लोगों को बुलाया गया था।
पुलिस को पश्चिम नागपुर में हुई गुप्त बैठक में असीम अली के शामिल होने का संदेह है। जो औरंगजेब का कट्टर समर्थक है। पुलिस ने असीम के घर पर दबिश दी लेकिन वह नहीं मिला। आशंका है कि बंद कमरे में हुई बैठक में यह रणनीति बनाई गई कि किस तरह लोगों को इकट्ठा करना है और किस इलाके में हिंसा फैलानी है। इसी रणनीति के तहत उपद्रवियों ने पहले चिटणीस पार्क में पुलिस को उलझाया। चूंकि पुलिस का बंदोबस्त भगवाधर चौक पर था जहां हर बार दो गुट आमने-सामने आते हैं। लेकिन, उपद्रवियों ने गीतांजलि चौक को चुना। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या नागपुर हिंसा में केवल स्थानीय लोग शामिल थे या बाहरी लोग भी पर्दे के पीछे सक्रिय थे।
एटीएस, आईबी भी जुटा रहीं जानकारी
असीम अली के साजिश में शामिल होने के संदेह के बाद आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और राज्य पुलिस की एसआईडी भी जानकारी इकट्ठा करने में जुट गई है। हिंसा से पूर्व गुप्त बैठकों का आयोजन करने वाले खासतौर से जांच एजेंसी के रडार पर है। बता दें कि अक्तूबर 2019 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी।