डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से डॉलर सूचकांक दुनिया की अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में लगातार मजबूत हो रहा है और यह 24 महीने से अधिक समय के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर सूचकांक में मजबूती से रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है, जिसके थमने के आसार फिलहाल नहीं दिख रहे हैं। अनुमान है कि रुपया मार्च तिमाही, 2025 तक और टूटकर 86 से नीचे पहुंच सकता है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) का दावा है कि डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा का मूल्य मार्च तिमाही, 2025 में घटकर औसतन 86.1 रुपये रह जाएगा। यह दिसंबर तिमाही, 2024 के 84.5 रुपये के औसत मूल्य के मुकाबले 1.9 फीसदी गिरावट को दर्शाता है, जो दो साल में सबसे ज्यादा है। पिछले दो साल में रुपये में किसी भी तिमाही में एक फीसदी से अधिक गिरावट नहीं देखी गई है। चालू वित्त वर्ष में भी हर तिमाही में भारतीय मुद्रा कमजोर हुई है और 2024 में इसमें 2.7 फीसदी गिरावट आ चुकी है।
दिसंबर में ही 0.7 फीसदी की कमजोरी
सीएमआईई के मुताबिक, रुपया अकेले दिसंबर में ही 0.7 फीसदी टूट गया। बीते महीने के आखिरी 10 दिनों में यह तेजी से कमजोर हुआ है। भारतीय मुद्रा में एक रुपये की गिरावट आने में दो महीने से अधिक का समय लगा। 11 अक्तूबर को डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य 84.06 था, जो 19 दिसंबर को घटकर 85.07 पर आ गया। पर, 10 दिनों में यह डॉलर की तुलना में 55 पैसे गिरकर 31 दिसंबर तक 85.26 पर आ गया।
शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे टूटकर 85.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। n चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 1.4% कमजोर हुई है।
रुपया महज 14 दिन में ही 85 से 86 के करीब पहुंचा
भारतीय मुद्रा को 83 से 84 तक आने में 457 दिन लगे थे, जबकि 84 से 85 तक आने में महज 60 दिन लगे। रुपया 19 दिसंबर, 2024 को पहली बार 85 के नीचे आया था और सिर्फ 14 दिन में ही यह 86 के करीब पहुंच गया। ऐसे में हाल के समय में यह पहली बार होगा, जब भारतीय मुद्रा में एक रुपये की गिरावट सबसे कम दिन में होगी।
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद 2022 में डॉलर की तुलना में रुपये में 10 फीसदी की गिरावट आई थी। यह संयोग है कि संजय मल्होत्रा के आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद रुपया डॉलर के मुकाबले 1.3 फीसदी गिर गया।
दिसंबर में प्रमुख एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा।
यूरो और ब्रिटिश पाउंड में भी गिरावट
डॉलर के मजबूत होने से यूरो और ब्रिटिश पाउंड में भी कमजोरी आई है। अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले यूरो एक फीसदी टूट चुका है, जो नवंबर, 2022 के बाद इसका दो साल से अधिक का निचला स्तर है। ब्रिटिश पाउंड भी 1.17 फीसदी गिरकर आठ महीने से अधिक के निचले स्तर पर आ गया है।
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