दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता द्वारा दायर मानहानि मामले में जारी समन को मंगलवार को रद्द कर दिया.
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने यह फैसला आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी द्वारा दायर अपील पर सुनाया. यह अपील मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर की शिकायत के आधार पर आतिशी को समन जारी किया गया था. जानते हैं पूरा मामला क्या है.
समन रद्द
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता द्वारा दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया. यह फैसला आम आदमी पार्टी (आप) नेता आतिशी के लिए राहत भरा है.
विशेष न्यायाधीश ने पलटा मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश
इस मामले में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आतिशी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की. अपील में मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर की शिकायत पर आतिशी को समन जारी किया गया था. न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को पलटते हुए समन रद्द कर दिया.
मामले की शुरुआत और विवाद का केंद्र
भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने मुख्यमंत्री आतिशी पर मानहानि का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. उनके अनुसार, आतिशी के बयान से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. मजिस्ट्रेट अदालत ने इस शिकायत के आधार पर आतिशी को समन जारी किया था, लेकिन अब विशेष अदालत ने इसे खारिज कर दिया है.
आदेश के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने इसे न्याय की जीत बताया है, जबकि भाजपा ने अदालत के इस निर्णय पर अपनी असहमति जताई है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आगामी चुनावों में दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाजी को बढ़ावा दे सकता है.
क्या कहता है कानून?
विशेष न्यायाधीश का यह फैसला मानहानि मामलों में अदालतों की गंभीरता को दर्शाता है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि किसी भी मामले में आरोपों की जांच और साक्ष्य का मजबूत होना कितना आवश्यक है.