भारत में HMPV वायरस का खतरा बढ़ रहा है. महाराष्ट्र के नागपुर में भी HMPV वायरस के 2 मरीज मिले हैं. इससे पहले कर्नाटक, गुजरात, बंगाल और तमिलनाडु में दो मामले सामने आए थे. नागपुर में एक 13 साल की लड़की और एक 7 साल के लड़के में वायरस लक्षण मिले हैं. अब एक बार फिर डर फैल रहा है. पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि HMPV वायरस बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु और मैसूर में दिल्ली पब्लिक स्कूलों ने स्वास्थ्य निगरानी उपायों को बढ़ा दिया है. स्कूल अधिकारियों ने माता-पिता से कहा है कि वे बच्चे में हल्के लक्षण होने पर भी उसे स्कूल न भेजें. कर्नाटक सरकार ने भी HMPV के प्रसार को रोकने के प्रयास में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. लोगों को सलाह दी जाती है कि खांसते, छींकते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल, टिशू पेपर से ढंकें; हाथों को अक्सर साबुन और पानी या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र से धोएं,भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें; बुखार, खांसी, छींकने के दौरान सार्वजनिक स्थानों से दूर रहें.
बच्चों को कैसे रखें ध्यान?
1. बच्चों को कम से कम 20 सेकंड के लिए साबुन और पानी से अपने हाथ धोना सिखाएं, ख़ास तौर पर खांसने, छींकने या खेलने के बाद. जब साबुन उपलब्ध न हो तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करें. उन्हें अपने चेहरे, ख़ास तौर पर अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचने के लिए याद दिलाएं, क्योंकि ये वायरस के लिए आम प्रवेश बिंदु हैं.
2. स्वच्छ वातावरण बनाए रखें. खिलौनों, दरवाज़े के हैंडल और काउंटरटॉप जैसी अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से कीटाणुरहित करें. हवा में मौजूद कणों के प्रसार को कम करने के लिए साझा स्थानों को अच्छी तरह हवादार रखें. बच्चों से सार्वजनिक स्थानों पर बेतरतीब वस्तुओं को न छूने के लिए कहें.
3. अपने बच्चे के स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करें. अगर उन्हें बुखार, खांसी या साँस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें. बीमार बच्चों को दूसरों में वायरस फैलने से रोकने के लिए घर पर ही रखें.
4. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है. हालांकि, अगर माता-पिता को इस वायरस से जुड़े कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें शांत रहना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए.