बिलासपुर – केन्द्रीय जेल, बिलासपुर को देश की पहली ईको-फ्रेंडली (ग्रीन जेल) बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जेल प्रशासन ने लघु, मध्यम और दीर्घकालिक अवधि के लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए एक चरणबद्ध तरीके से कार्य प्रारंभ किया है।
पहले चरण में जल-संरक्षण, जल-संवर्धन, ऊर्जा संरक्षण और प्लास्टिक एवं पॉलिथीन से मुक्त वातावरण बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इस दिशा में जेल स्टाफ और वहां निरूद्ध बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जेल की सप्लाई में प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग न्यूनतम किया गया है। इसके साथ ही, जेल में प्लास्टिक ब्रिक्स बनाने का कार्य शुरू किया गया है, जो प्लास्टिक और पॉलिथीन के साइक्लिंग में सहायक सिद्ध होगा।
जल के प्रभावी उपयोग के लिए बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि पानी की बर्बादी से बचा जा सके। इसके अलावा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए भी स्थानीय स्तर पर कार्य प्रारंभ हो चुका है।
ऊर्जा के अनुचित उपयोग को रोकने के लिए एक ऊर्जा ऑडिट कराया गया है। इसके तहत जेल स्टाफ को ऊर्जा संरक्षण की महत्वपूर्ण बातों से अवगत कराया जा रहा है। जल्द ही, केन्द्रीय जेल, रायपुर में बिजली और खाना पकाने के लिए सोलर ऊर्जा का उपयोग शुरू किया जाएगा।
बिलासपुर की इस जेल में पहले से ही पर्याप्त हरियाली मौजूद है। एनजीओ के माध्यम से जेल परिसर में उपलब्ध वनस्पति और जीवों के सर्वे का कार्य शुरू किया गया है। इसके आधार पर वनस्पति और जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाएगा, जिससे आने वाले वर्षों में जेल परिसर “ऑक्सीजन जनरेटर” के रूप में काम कर सके।
कचरे के प्रभावी प्रबंधन के लिए जेल में पहले से मौजूद व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा रहा है। गीले और सूखे कचरे के संग्रहण, प्रक्रियाकरण और डिस्पोजल के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
डीजी जेल हिमांशु गुप्ता ने कहा, “आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वायु और पर्यावरण देने के उद्देश्य से केन्द्रीय जेल, बिलासपुर को ‘ईको-फ्रेंडली ग्रीन जेल’ बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। यह जेल विभाग की ओर से समाज को एक सकारात्मक उपहार है।”