रायपुर। पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले पर अग्रिम ज़मानत के लिए 19 नवम्बर को रायपुर की विशेष अदालत में कल सुनवाई होनी है।
सूत्रों के अनुसार, दो पूर्व आईएएस अधिकारियों की हाईकोर्ट से ज़मानत के मामले में ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा के साथ राजधानी के दो वकीलों पर भी शिकंजा कस सकता है। इनमें से एक स्थापित वकील हैं और दूसरे पिछली सरकार के समय संविधानेत्तर सत्ता के केन्द्र में से एक हैं ।
अब आपको पूरे मामले की क्रोनोलॉजी समझाते हैं कि कैसे दो पूर्व आईएएस ने हाईकोर्ट से ज़मानत हासिल की थी। कांग्रेस से जुड़े दिल्ली के नामी वकील से पिटीशन ड्रॉफ्ट करवायी गयी । जिसे सत्ता के करीबी रायपुर के वकील को भेजा गया । उस वकील ने रायपुर के नामी वकील के साथ पिटीशन शेयर की। इन लोगों ने जेल में बंद पूर्व आईएएस के साथ पिटीशन शेयर की । जेल में बंद पूर्व आईएएस ने अपने साथी और नान मामले के आरोपी पूर्व आईएएस के साथ ही तत्कालीन महाधिवक्ता के साथ शेयर की । इसके बाद सम्बन्धित जज के सबसे करीबी व्यक्ति के साथ शेयर की गयी । जब सम्बन्धित लोग संतुष्ट हो गए तब आरोपियों को ज़मानत का लाभ मिल गया।
ये सारी क़वायद का बहुत बड़ा संवाद वाट्सएप पर हुआ जिसे ईडी ने ट्रैक करके इसका प्रमाण सुप्रीम कोर्ट में दिया था लेकिन सत्ता और धनबल के कारण सबूतों के साथ बंद लिफ़ाफ़ा नहीं खोला गया। राज्य में भाजपा सरकार बनने के क़रीब 9 माह बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से ज़मानत के मामले का संज्ञान लेकर कड़ी टिप्पणी की तब ईओडब्ल्यू ने पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया ।अब देखने वाली बात होगी कि रायपुर के जिन दो वकीलों के नामों की चर्चा है उन पर ईओडब्ल्यू का शिकंजा कब कसता है । वैसे दिल्ली के जिस नामी वकील का नाम इस मामले में लिया जा रहा है , उनकी तांत्रिक और पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी धोखाधड़ी के मामले के भगोड़े आरोपी के साथ भी बहुत निकटता बतायी जाती है।