Maharashtra Assembly Elections: भारत के चुनाव आयोग की ओर से महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर की तारीख घोषित कर दी गई है. 23 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ नतीजे आएंगे. चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन समान सीट बंटवारे और सहयोगियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
मामले से परिचित लोगों के अनुसार, तीनों सहयोगी दलों में सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 155 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है, जबकि बराबर संख्या में मौजूदा विधायकों वाली शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 85 और 45-50 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है.
एनसीपी और शिवसेना के बीच सीटों का अंतर क्यों?
एनसीपी और शिवसेना के बीच सीटों का ये अंतर लोकसभा चुनावों में एनसीपी के खराब प्रदर्शन की वजह से है. एनसीपी ने जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से एक पर जीत हासिल की, जबकि शिवसेना ने 15 लोकसभा सीटों में से सात पर जीत हासिल की. माना जा रहा है कि एनसीपी के कुछ मौजूदा विधायक भी एनसीपी (शरद पवार) में जाने पर विचार कर रहे हैं. मामले से परिचित लोगों ने बताया कि आरपीआई (ए), राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी), जन सुराज्य शक्ति और निर्दलीय जैसे छोटे सहयोगियों को उनके गठबंधन सहयोगी के कोटे से सीटें बांटी जाएगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि महाराष्ट्र में 9.64 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 4.94 करोड़ पुरुष और 4.66 करोड़ महिलाएं हैं. कुमार ने बताया कि राज्य में 1,00,186 मतदान केंद्र होंगे और इनमें से 57,000 से ज़्यादा ग्रामीण इलाकों में होंगे. चुनावों की घोषणा के साथ, महायुति और एमवीए दोनों ही अपनी सीट-बंटवारे की बातचीत को जल्द ही समाप्त कर आम सहमति पर पहुंचने की संभावना है.
महायुक्ति ने 240 सीटों पर लगाई अंतिम मुहर: भाजपा प्रवक्ता
भाजपा के एक प्रवक्ता ने कहा कि अब तक महायुति ने 240 सीटों पर अंतिम मुहर लगा दी है और 48 पर फैसला होना बाकी है. बाकी सीटें शिवसेना की ओर से शेयर की जाएंगी. प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच गठबंधन है. शिंदे की सेना अजित पवार की एनसीपी से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
उधर, एमवीए ने 225 सीटों पर फैसला किया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंधे के मुताबिक, बाकी सीटों पर हमारी चर्चा चल रही है और कुछ दिनों में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री एवं सीनियर कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि अभी तक किसी भी पार्टी ने सबसे ज़्यादा सीटों का दावा नहीं किया है. चव्हाण ने कहा कि हालांकि हमने 225 सीटों को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन अभी तक हम यह नहीं कह सकते कि सबसे ज़्यादा सीटें किसे मिलेंगी. हर सीट पर बहस और चर्चा होती है. जब हम सभी सीटों को जोड़ेंगे तभी पता चलेगा कि सबसे ज़्यादा सीटें किसे मिलेंगी.
कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटों की करेगी डिमांड: सूत्र
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी 100 से ज़्यादा सीटों की मांग करेगी. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हालांकि पार्टी ने 2019 के चुनावों में 44 विधानसभा सीटें जीती थीं, लेकिन हाल के लोकसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन अच्छा रहा है. हम 100 से ज़्यादा सीटों की मांग करेंगे.
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस और अविभाजित राकांपा ने गठबंधन में मिलकर चुनाव लड़ा था. भाजपा सबसे ज़्यादा 105 सीटें लेकर उभरी थी, जबकि शिवसेना 56 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. एनसीपी और कांग्रेस तीसरे और चौथे स्थान पर रहे थे.
हालांकि, मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया. शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने उसे मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया था, लेकिन भाजपा ने इससे इनकार कर दिया. इसके बाद उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर एमवीए सरकार बनाई. ढाई साल बाद जून 2022 में बीजेपी ने शिवसेना में फूट डालकर सरकार गिरा दी. शिंदे की अगुआई में 40 विधायकों के एक समूह ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.
इसके बाद, भाजपा ने एनसीपी में विभाजन करवा दिया और अजित पवार के नेतृत्व में लगभग 40 विधायकों के एक समूह ने भाजपा-सेना सरकार से हाथ मिलाकर महायुति सरकार बना ली, जो तब से सत्ता में है. शिवसेना दो हिस्सों में विभाजित हो गई, जबकि एनसीपी भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई. एक का नेतृत्व शरद पवार कर रहे हैं और दूसरा अजित पवार के नेतृत्व में. एक सत्ता में है और दूसरा सत्ता से बाहर है, ठीक वैसे ही जैसे सेना करती है.
लोकसभा चुनाव में महायुक्ति सरकार को लगा था झटका
हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान महायुति सरकार को करारा झटका लगा था, क्योंकि उसे सिर्फ 17 सीटें मिलीं, जबकि एमवीए को राज्य की 48 सीटों में से 30 सीटें मिलीं. इस निराशाजनक प्रदर्शन ने महायुति को झकझोर कर रख दिया, जिसने चुनाव की घोषणा से पहले कई कल्याणकारी उपायों की घोषणा करके और कई विकास परियोजनाओं को मंजूरी देकर मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की थी.
चुनावों से पहले शरद पवार की पार्टी एनसीपी उन नेताओं के लिए पसंदीदा जगह बनती दिख रही है, जिन्हें महायुति से टिकट मिलने की संभावना नहीं है. शरद पवार की पार्टी पहले ही हर्षवर्धन पाटिल और समरजीत घाटगे जैसे नेताओं को अपने पाले में कर चुकी है और महायुति से कई नेताओं को लाने की तैयारी में है. एनसीपी (सपा) महीनों से दावा कर रही है कि महायुति के कम से कम 20 विधायक उसके पाले में आ जाएंगे.