Dussehra 2024: शारदीय नवरात्र का समापन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को होता है, जिसे विजयादशमी या दशहरा कहा जाता है. यह त्योहार न केवल मां दुर्गा की पूजा का प्रतीक है, बल्कि भगवान श्रीराम और रावण के बीच ऐतिहासिक युद्ध का भी प्रतिनिधित्व करता है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और इस अवसर पर भक्तों का संकल्प रहता है कि वे व्रत रखकर अपनी मनोकामनाओं को पूरा करेंगे.
दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन विशेष महत्व रखता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पहले शमी वृक्ष की पूजा की थी. वहीं, नीलकंठ के दर्शन का संबंध भगवान राम की ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति से है. जब भगवान राम ने शिवजी की कठिन तपस्या की, तब शिवजी ने उन्हें नीलकंठ रूप में दर्शन दिए और उनके सभी पापों को दूर किया.
सुख और सौभाग्य की प्राप्ति
नीलकंठ के दर्शन से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है. ऐसा माना जाता है कि नीलकंठ के दर्शन से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं और उनके जीवन में सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है. इसलिए, दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन करने का महत्व अधिक बढ़ जाता है.
जीत का प्रतीक
दशहरा न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए. नीलकंठ के दर्शन के माध्यम से भक्तों को यह संदेश मिलता है कि कठिनाइयों को पार करके ही सच्ची विजय हासिल की जा सकती है.