चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव का रिजल्ट जारी हो चुका है। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को मात देते हुए बीजेपी ने 2014 से भी अधिक सीटें जीतकर सभी को हैरत में डाल दिया है। तमाम एक्जिट पोल्स फेल हो गए। विपक्षी नेताओं को समझ ही नहीं आ रहा की हुआ क्या। लेकिन देश की सबसे बड़ी पार्टी की इस सबसे बड़ी जीत का श्रेय उसकी सहियोगी आरएसएस को जाता है। उसके कार्यकर्ताओं में पूरी ताकत लगाकर इसबार हरियाणा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार प्रसार किया। बताया जा रहा है कि, संघ की ओर से 3 महीने के भीतर ताबड़ तोड़ 16 हजार बैठकें की गई थीं।
जमीनी स्तर पर काम कर रही थी RSS
पॉलिटिकल पंडितों का कहना है कि, भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में मिली इस प्रचंड जीत के पीछे आरएसएस की कड़ी मेहनत हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद आरएसएस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी के तमाम दिग्गज ताबड़तोड़ रैली कर लोगों को संबोधित कर रहे थे तो वहीं आरएसएस जमीनी स्तर पर काम कर रही थी।
आरएसएस ने की 16000 सभाएं
पिछले चार महीनों में आरएसएस ने हरियाणा में 16 हजार छोटी-छोटी सभाएं की, जिसने गैर-जाट मतदाताओं को जीतने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए इस बार आरएसएस ने अपने पारंपरिक तरीके से काम शुरू शुरू किया था। इस बार संघ के कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाने के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर भी केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के बारे में लोगों को बता रही थी। एसएस उन तमाम सीटों का दौरा किया, जहां बीजेपी कमजोर नजर आ रही थी। गांव में जिस जाति के लोग अधिक से संघ ने उसी जाति के नेता वहां भेजे। संघ के कार्यकर्ताओं ने दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को समझाया कि संविधान को केंद्र की सरकार से कोई खतरा नहीं है। संघ हरियाणा के लोगों को डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियां और फायदे भी समझाने में कामयाब रही।
नड्डा ने कहा था – बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं
बीजेपी और आरएसएस दोनों को एक दूसरे के पूरक कहा जाता है। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपनी जीत को लेकर कुछ ज्यादा ही ओवरकॉन्फिडेंट हो गई थी। इतनी कि, नड्डा ने यह तक कह दिया था की बीजेपी अब बड़ी हो चुकी है। उसे आरएसएस की जरूरत नहीं। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नड्डा की काफी आलोचना हुई। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बीजेपी को आइना दिखाने में देरी नहीं की। इसी का नतीजा है कि, गलतियों से सबक लेते हुए बीजेपी ने एक बार फिर अपनी सबसे बड़ी ताकतवर सहियोगी का हाथ पकड़ा है।