Haryana Congress Defeat Impact: हरियाणा में कांग्रेस की हार निश्चित रूप से विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन के लिए एक झटका है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस की इस हार के बाद उसके सहयोगियों (क्षेत्रीय दलों), जो अपने क्षेत्र में मजबूत हैं, उनको गठबंधन में ‘सौदा’ करने के मामले में राहत दी है, खासकर आगामी राज्य चुनावों के लिए. इधर, 99 सीटों के साथ लोकसभा ‘जीत’ के बाद अति उत्साही और अति आत्मविश्वासी कांग्रेस को थोड़ा संयम बरतना होगा.
ये अति आत्मविश्वास और अति उत्साह का ही नतीजा था कि कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया और आम आदमी पार्टी की मांगों पर गौर नहीं किया. मंगलवार को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आने लगे और हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार की आहट दिखी तो शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रतिक्रिया देने में कोई समय नहीं गंवाया और कहा कि सत्ता विरोधी लहर के बाद भी भाजपा जीत रही है.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस को अपनी योजनाओं पर फिर से विचार करना होगा, अपने भीतर झांकना होगा और यह ध्यान में रखना होगा कि जब भी भाजपा के साथ सीधी लड़ाई होती है, तो कांग्रेस कमजोर पड़ती दिखती है. उसे पूरे गठबंधन पर फिर से काम करना होगा.
महाराष्ट्र में INDIA गठबंधन में क्या चल रहा है?
महाराष्ट्र में चुनाव नजदीक हैं, जहां कांग्रेस उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन में है, अति आत्मविश्वास से भरी कांग्रेस महत्वपूर्ण सीट-बंटवारे की व्यवस्था और ठाकरे को सीएम चेहरे के रूप में पेश करने की शिवसेना की मांग के प्रति उतनी संवेदनशील नहीं रही है.
हरियाणा में हार और जम्मू में खराब प्रदर्शन के कारण कांग्रेस अपने अहंकार को किनारे रखकर अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपना सकती है, जिससे गठबंधन के सदस्यों के बीच सहमतिपूर्ण शर्तें स्थापित करने में मदद मिलेगी.
दिल्ली में केजरीवाल के लिए सब आसान हो गया है?
अरविंद केजरीवाल की AAP को हरियाणा में कोई सीट नहीं मिली, जहां INDIA गठबंधन में शामिल AAP और इस गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा. कहा जा रहा है कि नतीजों के बाद अब अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में होने वाले चुनावों के लिए समीकरण बनाना केजरीवाल के लिए आसान हो गया है. केजरीवाल ने मंगलवार को कांग्रेस नेतृत्व को याद दिलाया कि किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. प्रत्येक चुनाव और प्रत्येक सीट कठिन है. उन्होंने मंगलवार को आप के नगर पार्षदों को संबोधित करते हुए ये बात कही. दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने कहा कि इस (चुनाव नतीजों) का सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनावों में कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए.
कांग्रेस से निपटने के लिहाज से दिल्ली का चुनाव केजरीवाल के लिए एक चुनौती है, क्योंकि दोनों ही पार्टियां भाजपा को दूर रखने की कोशिश कर रही हैं और साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही हैं कि वे एक-दूसरे को जगह न दें. कांग्रेस-आप गठबंधन लोकसभा चुनावों में कामयाब नहीं हो पाया, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा ने राजधानी की सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया.
महाराष्ट्र के साथ-साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे झारखंड से झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन हरियाणा के नतीजों से निश्चित रूप से मोर्चा नेतृत्व के लिए राज्य में अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ गठबंधन समझौते पर काम करना आसान हो जाएगा.