Rail Raksha Dal: देशभर में बढ़ रहीं रेल घटनाओं के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने पहली बार ‘रेल रक्षक दल’ की स्थापना की है. पायलट पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रेलवे ने इस प्रोजेक्ट को उत्तर पश्चिम रेलवे (NWR) क्षेत्र में लॉन्च किया है.
कैसे काम करेगा रेल रक्षक दल
रेल रक्षक दल तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर तुरंत बचाव कार्य करने में सक्षम है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की पहल पर बनी इस टीम को राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) ने प्रशिक्षित किया है और जोन के चारों मंडलों में चार स्थानों बांदीकुई, लालगढ़, उदयपुर एवं मेड़ता रोड पर तैनात किया है. रेल मंत्री वैष्णव ने जयपुर के गांधीनगर स्टेशन पर पुनर्विकास के काम का निरीक्षण करने के साथ ही रेल रक्षक दल की दो टीमों को भी देखा.
सूत्रों के अनुसार, रेल मंत्री ने नवंबर 2023 में एक बैठक में दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी से यात्रियों की तेजी से निकासी के मुद्दे पर काम करने की जरूरत व्यक्त की थी जिसके बाद बोर्ड द्वारा उत्तर पश्चिम रेलवे, पूर्वी तटीय रेलवे, भारतीय रेलवे आपदा प्रबंधन संस्थान (IRIDM) बेंगलुरु, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) और रेल कोच फैक्ट्री (RCF) की एक समिति गठित की गई थी. समिति की सिफारिशों के अनुरूप रेल सुरक्षा बल (RPF) और कैरिएज एंड वैगन विभाग के इंजीनियरों की टीम बना कर एनडीआरएफ द्वारा एक माह का प्रशिक्षण दिलाया गया.
3 साल के लिए पायलट प्रोजेक्ट
रेलवे बोर्ड ने आपदा प्रबंधन को बढ़ाने के लिए 3.4 करोड़ की लागत का काम स्वीकृति दी थी. इस पर उत्तर पश्चिम रेलवे ने चार टीमें गठित कीं. प्रत्येक टीम में पांच RPF सदस्य और एक सीएंडडब्लयू कर्मी, दो रिजर्व कर्मी शामिल हैं. यह निर्णय लिया गया कि टीम के सदस्य जोड़ी में काम करेंगे. यह बचाव दल आरपीएफ के नियंत्रण में काम करता है. ट्रेन एक्सिडेंट के दौरान बचाव कार्य के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर इस बलका उपयोग किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को फिलहाल 3 साल के लिए लाया गया है.
10 मिनट के भीतर रवाना होगा दल
रेल रक्षक दल की एक टीम में ISUZU गाड़ी में करीब 25 प्रकार के उपकरण होते हैं. सूत्रों की मानें तो इस रेल रक्षक दल की टीम को दुर्घटना की सूचना मिलते ही 10 मिनट के भीतर रवाना होना होता है और 60 मिनट के अंदर दुर्घटना स्थल पर पहुंचना होता है.