दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगों ने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, और अन्य के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगों ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में गूगल, यूट्यूब, मेटा (Facebook, Instagram, WhatsApp), एक्स, Snapchat, ShareChat, Reddit और बम्बल जैसे प्लेटफार्मों को कुछ आवश्यक निर्देश जारी किए गए।
आयोग ने आगे कहा, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का सहयोग, Deep Fake और शिकारियों की पहचान के लिए आवश्यक उपकरण, पीड़ितों की गोपनीयता की रक्षा के उपाय, और लापता तथा शोषित बच्चों की रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) के मानकों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।”
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए कुछ आवश्यक सिफारिशें की हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाबालिगों के साथ अनुबंध करने के लिए माता-पिता या कानूनी अभिभावकों की सहमति आवश्यक होनी चाहिए।
Age verification system: बच्चों की उम्र सत्यापित करने के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित करने पर सहमति।
सुरक्षा उपकरणों में सुधार: प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरणों को और मजबूत किया जाएगा।
CSAM का पता लगाना: चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल (CSAM) का पता लगाने और इसकी रिपोर्टिंग के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।
कानून प्रवर्तन का समर्थन: डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता पर सहमति बनी है।
बच्चों के डेटा की गोपनीयता: पीड़ित की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया गया।
माता-पिता की सहमति: नाबालिगों के साथ अनुबंध करने के लिए माता-पिता या कानूनी अभिभावकों की सहमति अनिवार्य होगी।
डिस्क्लेमर जारी करना: Adult Content दिखाने से पहले स्पष्ट चेतावनी जारी करने की आवश्यकता होगी, जिसमें माता-पिता को यह जानकारी दी जाएगी कि यदि उनका बच्चा ऐसी सामग्री देखता है, तो वे जिम्मेदार हो सकते हैं।
डेटा साझा करना: सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC) के साथ डाटा साझा करना होगा, जिसमें जनवरी 2024 से जून 2024 के बीच प्रस्तुत किए गए केसों की जानकारी शामिल होगी। इन सिफारिशों को लागू करने के लिए आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को 7 दिनों के भीतर एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।