बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित बलौदाबाजार सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग मामले में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली हैं, बता दें कि, पुलिस ने इस मामले में संलिप्त आरोपी पत्रकार को गिरफ्तार किया हैं। वहीं कुछ दिनों पहले आरोपी पत्रकार आशीष शुक्ला ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमे वो अपने आप को सरेंडर करने की बात कह रहा था। जिसके बाद इस मामले में पुलिस अभी पत्रकार से लगातार पूछताछ कर रही है। वहीं इस मामले में कई बड़े नाम शामिल होने की संभावना जताई जा रही हैं। ऐसा माना जा रहा हैं कि, इसमें कई बड़े नेताओ से लेकर टीवी जगत के मशहूर लोग भी शामिल हैं। जिसके बाद से पुलिस की टीम लगातार जांच में जुटी हैं।
उल्लेखनीय है कि, पूर्व में भी इस मामले में एक पुलिस आरक्षक समेत सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस ने बताया कि, इस मामले में संलिप्त एक और महिला आरोपी अभी फरार है। पुलिस ने केस दर्ज कर अज्ञात आरोपियों की तलाश कर रही है।
पुलिस महकमे तक पहुंची जांच की आंच, प्रधान आरक्षक गिरफ्तार
बता दें कि, इस बहुचर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में सरगना शिरीष पांडे की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को सायबर सेल ने विभाग में ही पदस्थ प्रधान आरक्षक अंजोर दास मांझी को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी प्रधान आरक्षक को पुलिस रिमांड के लिए न्यायालय में पेश किया गया है। वहीं इस घिनौने कृत्य में अंजोर दास मांझी कि संलिप्तता पर लगातार मीडिया के द्वारा सवाल उठाए जा रहे थे। इसको लेकर इसके पुलिस कार्रवाई पर सवालिया निशान उठ रहे थे। क्योंकि सैक्स स्केंडल मामले में कुछ पुलिसकर्मियों के भी संलिप्त होने की खबर थी। बताया जा रहा है कि, जांच में आरोपी के बैंक खाते से करोड़ों रुपए के लेनदेन के सबूत मिले हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि, पूछताछ में और भी विभाग के ही बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं।
पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई का दिलाया था भरोसा
वहीं बलौदाबाजार एसपी विजय अग्रवाल ने मीडिया को भरोसा दिलाया था कि, मामले में जांच की जा रही है। इसमें जो भी शामिल होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जिसके बाद से सायबर पुलिस की टीम लगातार नजर रखी थी और मौका मिलते ही आज आरोपी आरक्षक को पीटीएस माना रायपुर से पकड़ लिया गया। वही जानकार सैक्स स्कैंडल मामले में शामिल होने एवं लाखों रुपए के लेनदेन को लेकर आरोपी आरक्षक की मौजूदगी के सबूत प्रार्थी पुलिस को पहले ही दे चुके थे। उसके बावजूद पुलिस जांच में देरी की जा रही थी। लेकिन मीडिया के बढ़ते दबाव को देखते हुए आखिरकार पुलिस को झुकना ही पड़ा और जांच में अपने ही विभाग में पदस्थ आरक्षक को आखिर कार गिरफ्तार करना पड़ा। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया है। जहां से उसे पुलिस रिमांड में भेजा गया है।