नई दिल्ली। मध्य और पूर्वी अफ्रीका में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस उछाल को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस संक्रामक बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। इस बीमारी से उत्पन्न खतरा अब भारत के लोगों में भी चिंता का विषय बन रहा है। विनाशकारी COVID-19 महामारी का डर अभी भी लोगों की मानसिकता को प्रभावित कर रहा है, जिससे यह आशंका बढ़ रही है कि एमपॉक्स COVID-19 जैसा ही एक और संकट बन सकता है।
बता दें कि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया है। फिर भी, मंत्रालय का दावा है कि इस बीमारी के फैलने का जोखिम कम है। भारत सरकार अतिरिक्त सावधानी बरतने पर विचार कर रही है। जनवरी 2022 से अब तक भारत में मंकीपॉक्स के केवल 30 मामले सामने आए हैं, हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आया है।
मंकीपॉक्स होने की क्या है वजह ?
एमपॉक्स वायरस संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, कृंतकों और गिलहरियों के संपर्क में आने से फैल सकता है। सबसे ज़्यादा जोखिम में वे लोग शामिल हैं जो कई पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाते हैं या समलैंगिक के रूप में पहचाने जाते हैं। इसके अलावा, यौन रूप से सक्रिय व्यक्ति भी इस बीमारी के प्रति संवेदनशील होते हैं।