अगस्त मास का यह सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है। वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से हो रहा है और इस दिन ही सावन मास का चौथा सोमवार भी है। सावन सोमवार व्रत के साथ इस सप्ताह पुत्रदा एकादशी व्रत, शनि प्रदोष व्रत समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह बुध सिंह राशि में अस्त होंगे और सूर्य का सिंह राशि में गोचर होगा। आइए जानते हैं अगस्त मास के इस सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…
सावन सोमवार व्रत (12 अगस्त, सोमवार)
उत्तर भारत के पंचांग के अनुसार, इस दिन सावन का चौथा सोमवार है। इस दिन व्रत रख करके भगवान आशुतोष की पूजा की जाती है। शास्त्रों व पुराणों के अनुसार, सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र और जल अर्पित करने से मात्र से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। जो हर रोज शिव पूजन ना कर सकें, उनको सावन सोमवार को शिव पूजन अवश्य करना चाहिए। सावन मास में हर दिन शिवोपासना का विधान है।
पुत्रदा एकादशी व्रत (स्मार्त) (15 अगस्त, गुरुवार)
सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। एकादशी व्रत स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय करते हैं। स्मार्त उसे कहते हैं जो एक से अनेक देवताओं की पूजा करते रहते हैं। सामान्य भाषा में जो गृहस्थ होता है, वह स्मार्त कहा जाता है। संयोग से सावन मास का झूलन भी इस दिन से प्रारंभ हो जाएगा, जिसे झूलन यात्रा प्रारंभ के नाम से जाना जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत (वैष्णव) (16 अगस्त, शुक्रवार)
इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग एकादशी व्रत रखते हैं। वैष्णव संप्रदाय, उसे कहते हैं जो केवल विष्णु भगवान की पूजा करते हैं और वह फल की अपेक्षा नहीं करते, विष्णु भगवान को ही समर्पित कर देते हैं। वैष्णव धर्म के लोग कोई भी व्रत निष्काम करते हैं। पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का व्रत करने से भगवान नारायण के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।
शनि प्रदोष व्रत (17 अगस्त, शनिवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर महीने में दो बार प्रदोष आता है। अगर शनिवार को प्रदोष पर व्रत हो जाता है, उसका महत्व बहुत बढ़ जाता है। प्रदोष व्रत को शनिवार से ही प्रारंभ किया जा सकता है। इसलिए जिन महिलाओं को प्रदोष व्रत रखना है, वह इस दिन से व्रत को प्रारंभ कर सकती हैं। मान्यता है कि इस दिन शिवजी की पूजा अर्चना करने से शनिदेव की अशुभ दशा, ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ दशा में कमी आती होगी।