नई दिल्ली। ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब यूपीएससी परीक्षा प्रक्रियां को लेकर भी सवाल सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसकी प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार पर तंज किया, और सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कई सवाल पूछे हैं।
प्रियंका ने लिखा, “नकली सर्टिफिकेट का सिस्टम एसी, एसटी, ओबीसी, विकलांग व ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलने वाले मौके पर चोट करता है। क्या सर्टिफिकेट जांचने की कोई ठोस संस्थागत प्रणाली विकसित नहीं की जा सकती” ?
वहीं उन्होंने अपने इस पोस्ट में ये भी लिखा कि, यूपीएससी देश की सबसे नामी परीक्षा है, और उससे निकले लोग शासन व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ होते हैं। देश के करोड़ों लोगों का भरोसा और हमारे रोजमर्रा के शासन-प्रशासन का कामकाज इस संस्था की पेशेवर प्रणाली से जुड़ा है। मैंने खुद देखा है कि, इस परीक्षा के लिए युवा कितनी मेहनत, आंखों में ढेर सारे सपने लिए और दिल में लगन के साथ तैयारियां करते हैं। यूपीएससी की प्रक्रियाओं में गड़बड़ी की खबरें बहुत हैरान करने वाली हैं। इस महत्वपूर्ण चयन प्रक्रिया में हुई एक भी गड़बड़ी बड़े सवाल खड़े करती है और लाखों युवाओं के सपनों और उनके विश्वास पर चोट करती है। जरूरी है कि, इन सवालों का जवाब जनता और यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवाओं को मिले। क्या इसके लिए यूपीएससी के उच्च पदों पर राजनीतिक नियुक्तियों से आए लोग जिम्मेदार हैं? यदि हां तो उन पर कार्रवाई कब? जिस सिस्टम में एक-एक नंबर के चलते उच्च स्तर का कम्पटीशन होता है, उसमें क्या केवल सतही तौर पर जांच करके पल्ला झाड़ना उचित है?
नकली सर्टिफिकेट का सिस्टम एसी, एसटी, ओबीसी, विकलांग व ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलने वाले मौके पर चोट करता है। क्या सर्टिफिकेट जांचने की कोई ठोस संस्थागत प्रणाली विकसित नहीं की जा सकती? यूपीएससी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी व प्रामाणिक बनाने के लिए बदलावों की सख्त जरूरत है, क्या इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए, और यूपीएससी से जुड़े सवाल इस देश के शासन-प्रशासन के प्रति भरोसे और हमारे करोड़ों युवाओं के सपनों से जुड़े सवाल हैं। इस पर सरकार से जवाब आना जरूरी है।