ओडिशा के पुरी में हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं. इस यात्रा में तीन भव्य रथों पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा विराजते हैं. इस साल यह यात्रा 7 जुलाई को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 08 जुलाई, सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं इस यात्रा के शुरू होने से 15 दिन पहले जगत के पालनहार बीमार पड़ जाते हैं. ऐसा क्यों होता है और क्या है इसके पीछे की वजह और इससे जुड़ी पौराणिक कहानी।
ये है वजह
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ का एक परम भक्त था, जिसका नाम माधव था. एक दिन जब वह बीमार हो गया तो उस दौरान स्वयं भगवान जगन्नाथ उसकी सेवा करने पहुंचे. जब भक्त ने कहा प्रभु आप मेरी सेवा क्यों कर रहे हैं, आप तो मुझे ठीक भी कर सकते हैं. इस पर भगवान ने कहा कि प्रारब्ध तो झेलना ही पड़ता है चाहे कुछ भी हो. यदि आप इसे अभी कटवा लोगे तो अगले जन्म में आपको भोगना पड़ेगा.
भगवान जगन्नाथ भक्त माधव से कहते हैं कि जो पीड़ा तुम्हें हो रही है, इसे 15 दिनों तक और झेलनी पड़ेगी, इसलिए यह पीड़ा तुम मुझे दे दो, मैं इस पीड़ा को भोग लूंगा तो तुम्हारा प्रारब्ध कट जाएगा. मान्यता है कि तभी से भगवान जगन्नाथ साल में एक बार 15 दिनों के लिए बीमार होते हैं.
यह भी है मान्यता
एक और मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा रथ पर बैठकर अपनी मौसी के घर जाते हैं. वे अपनी मौसी के घर 7 दिन तक रुकते हैं. इसके बाद वह वापस आते हैं. यह परंपरा हर साल निभाई जाती है.