12 मई यानी साल का 132वां दिन है और इतिहास में इस दिन के नाम पर बहुत सी घटनाएं दर्ज हैं. 2008 में आज ही के दिन बस दो पल के लिए धरती ने करवट बदली और चीन में 87 हजार लोग मौत की गोद में समा गए. इतिहास के सबसे ताकतवर भूकंप में शुमार इस भूकंप में हजारों लोग लापता हुए, लाखों बेघर हो गए और इससे हुए संपत्ति के भारी नुकसान की भरपाई में बरसों का वक्त लगा. भूकंप से करीब चार लाख लोग घायल हुए.
ऑशविज कैंप में की गई 1500 यहूदियों की हत्या
जर्मनी के क्रूरतम तानाशाहों में से एक एडोल्फ हिटलर शासन में कैदियों को न सिर्फ यातनाएं दी गई, बल्कि लाखों को मौत के घाट भी उतारा गया. यहूदियों और रूसियों के खात्मे के लिए यहां एक ऑशविज कैंप बनाया गया था, जो नाजियों की हत्यारी रणनीति को दर्शाती है.
पोलेंड में मौजूद इस प्रताड़ना शिविर में धर्म, नस्ल और शारीरिक कमजोरी का हवाला देकर लोगों को गैस चेंबर में बंद कर दिया जाता था। इतिहासकारों के मुताबिक, नाजी दौर में यहूदियों और रूसियों को यातना देने का ये सबसे चर्चित तरीका था. आपको बता दें कि आज ही के दिन यानी 12 मई 1942 को 1,500 यहूदियों को गैस चेंबर भेजा गया था.
इस गैस चेंबर में सैकड़ों बंदियों को एक साथ बंद कर गैस छोड़ दी जाती थी. इस दौरान बूढ़े और बीमार बंदी चेंबर में ही दम तोड़ देते. वहीं, जो बदकिस्मत बच जाते, उनसे नाजी जबरन काम लेते थे.
बता दें कि गैस चेंबर में सैकड़ों बंदियों को एक साथ बंद कर गैस छोड़ दी जाती थी. इस दौरान बूढ़े और बीमार बंदी चेंबर में ही दम तोड़ देते. वहीं, जो बदकिस्मत बच जाते, उनसे नाजी जबरन काम लेते थे.
ओडोमीटर का हुआ था आविष्कार
12 मई, 1847 को विलियम क्लेटन ने अपने साथियों ऑरसन प्रैट और एपलटन मिलो हार्मन की मदद से ओडोमीटर का आविष्कार किया था. इसे रोडोमीटर भी कहा जाता है. क्लेटन, चर्च ऑफ़ जीसस क्राइस्ट ऑफ़ लैटर-डे सेंट्स के सदस्य थे. उन्होंने मिसौरी से यूटा तक के मैदानों को पार करते समय अपने वैगन से जुड़े ओडोमीटर का इस्तेमाल किया था. ये वैगन के पहिये से जुड़ा होता था और वैगन की यात्रा के दौरान पहिये के चक्करों को गिना करता था.
ओडोमीटर एक उपकरण है जिससे किसी वाहन द्वारा तय की गई दूरी का पता चलता है. ये आमतौर पर डैशबोर्ड पर स्टीयरिंग व्हील के नीचे होता है और एक छोटी आयताकार खिड़की के ज़रिए संख्याओं की एक श्रृंखला दिखाता है. नए वाहनों में ये डिजिटल हो सकता है.
आज मनाया जा रहा है इंटरनेशनल नर्सेज डे
12 मई को इंटरनेशनल नर्सेज डे के रूप में मनाया जा रहा है. इस दिन को फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है. नर्सिंग को एक सम्मानजनक पेशा बनाने का श्रेय फ्लोरेंस नाइटिंगेल को ही जाता है. 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. कुलीन परिवार में जन्मीं फ्लोरेंस के घर वालों को ये बिल्कुल मंजूर नहीं था कि उनकी बेटी नर्स बने, क्योंकि उस वक्त नर्सिंग को सम्मानित पेशा नहीं माना जाता था. आखिरकार फ्लोरेंस की जिद के आगे घर वालों को झुकना पड़ा और उन्हें नर्सिंग की ट्रेनिंग के लिए जर्मनी जाने की इजाजत मिल गई.
12 मई का इतिहास-
1459 जोधपुर की स्थापना हुई.
1666 पुरंदर की संधि के तहत शिवाजी औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे.
1689 इंग्लैंड और हॉलैंड ने लीग ऑफ़ आग्सबर्ग बनाया.
1915 क्रांतिकारी रासबिहारी बोस ने जापानी नौका सानुकी मारू पर सवार होकर भारत छोड़ा.
1925 उजबेकिस्तान और किर्गिजिस्तान स्वायत्त सोवियत गणराज्य बने.
1942 आश्विट्ज में 1500 यहूदियों को गैस चेंबर में मारा गया.
1965 इजरायल और पश्चिम जर्मनी ने राजनयिक संबंध शुरु करने के लिए पत्रों का आदान प्रदान किया.
2003 सऊदी शहर रियाद में अल कायदा के हमले में 26 लोगों की मौत.
2007 पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की कराची यात्रा के दौरान भड़के दंगों में 50 लोगों की मौत, 100 से अधिक घायल हुए.
2008 चीन के सिचुआन में भूकंप से 69000 से अधिक लोगों की मौत.