नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। जनहित याचिका में पारदर्शिता के लिए सांसदों और विधायकों की गतिविधियों की बेहतर निगरानी के लिए डिजिटल निगरानी करने की मांग की गई थी। CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि , “देश के सभी सांसदों और विधायकों की हम निगरानी नहीं कर सकते। निजता का अधिकार नाम की भी कोई चीज़ है। वे जो करते हैं उसकी निगरानी के लिए हम उनके पैरों या हाथों पर कुछ (इलेक्ट्रॉनिक) चिप्स नहीं लगा सकते।” याचिकाकर्ता ने मामला प्रस्तुत करने के लिए 15 मिनट का समय मांगा तो शीर्ष अदालत ने उसे 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी। सभी विधायकों की 24 x 7 सीसीटीवी निगरानी के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए, पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का भी अपना निजी जीवन है।
कोर्ट ने जुर्माना लगाने की दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट में याचिका सुरेंद्र नाथ कुंद्रा नाम के शख्स की ओर से दायर की गई थी। कुंद्रा ने कोर्ट में खुद ही जिरह करना शुरू किया और कोर्ट से अपना केस रखने की इजाजत मांगी। बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो अपना केस रख सकते है, पर ध्यान रहे कि वो अदालत का कीमती वक्त इस्तेमाल कर रहे है। अगर कोर्ट को लगेगा कि याचिका बिना किसी मतलब के है, तो कोर्ट उन पर 5 लाख का जुर्माना लग सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि ये कोर्ट का ईगो नहीं है। ये पब्लिक टाइम है और कोर्ट को दूसरे मामले भी सुनने होते है।