मो.रमीज राजा (सूरजपुर)
क्यों निष्क्रिय साबित हो रहे हैं बंद पड़े कोयला खदानों को खुलवाने में महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार…..?
सुरजपुर/भटगांव:– कोयले की कालिख से सने चेहरे और कपड़े, यह वो लोग हैं जो अपनी जान जोखिम में डाल हर रोज कोयला खदानों में उतरते हैं, ताकि आपके-हमारे घर रोशन रह सकें। लेकिन जैसे-जैसे कोयला खदाने बंद होती जा रहीं हैं, इन मजदूरों की उम्मीदें भी धूमिल होती जा रही हैं, क्योंकि हर गुजरते दिन के साथ इनके रोजगार पर मंडराता खतरा और गहराता जा रहा है।
गौरतलब है कि कोयला खदानों में काम करने वाले इन मजदूरों के लिए वैसे भी जीवन आसान नहीं है ऊपर से रोजगार छिनने का खतरा इनकी कमर को तोड़ देगा। ऐसे में इन मजदूरों को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े इससे लिए पहले ही इन श्रमिकों को दूसरे रोजगारों और काम धंधों के लिए तैयार करना जरूरी है। इसमें सरकारों को भी सक्रिय तौर पर योगदान देने की जरूरत है।
महामाँया ओसीएम परियोजना एवं मदननगर परियोजनाओं की सभी प्रक्रियाएँ पूर्ण होने एवं कंपनी दुवारा करोडो रुपये भूमि अधिग्रहण मुआवजा देने के वावजूद आज तक चालू नहीं होना क्षेत्रीय महाप्रबंधक के ऊपर सवाल खडे कर रहा है। यह परियोजना कई मायनों में इसलिए भी अहम है कि इसके साथ प्रस्तावित महान-4 परियोजना जिसमें मुख्य तौर पर मदननगर, कनकनगर, जगन्नाथपुर एवं चौरा शामिल है, इन्हें मिलाकर दोनों परियोजना की कोयला उत्पादन क्षमता लगभग 15 मिलियन टन वार्षिक हो जाएगी, जो भटगांव क्षेत्र में पूर्व की खदानों से कई गुना ज्यादा क्षमता की होगी। भटगांव क्षेत्र में पूर्व की खदानों में भविष्य में कोयला उत्पादन क्षमता लगभग समाप्ति की ओर है, ऐसे में महान-3 एवं महान-4 खदान एसईसीएल के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं।
महान-3 एवं महान-4 परियोजना के बाद दोनों खदान की क्षमता लगभग 15 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो जाएगी। इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन पूरी तैयारी कर रहा है। वर्तमान में महान-2 एवं जल्द ही महान-3 से कोयला ट्रक के जरिये परिवहन कराते हुए भटगांव सीएचपी जाता है, जहां से रेल के माध्यम से यह अन्य प्रांतों में भेजा जाता है। भविष्य में एसईसीएल भटगांव से मदननगर के समीप रेललाइन विस्तार करने की योजना बना चुका है। मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन ने इसके लिए पूरा सर्वे कराते हुए रेलवे विभाग को धनराशि भी जारी कर दी है।
महान – 1, महान और दुग्गा दुग्गा ओसीएम परियोजनाओं में पर्याप्त कोल भंडार मौजूद होने के बावजूद इन परियोजनायों। को आखिर क्यू बंद किया गया है….? जबकि बात यहीं समाप्त नहीं होती जहा वर्तमान महाप्रबंधक भटगांव और अधिकारियों की ऐसी निष्क्रियता जिसका परिणाम बंद पड़े कोयला खदानों में लाखों टन कोयला अभी भी पड़ा हुआ है जिसकी खामियांजा कहीं ना कहीं कंपनी भुगत रही है बंद कर दी गई कोयला खदानों में अभी भी लाखों टन कोयला भंडारित है जहां वर्तमान महाप्रबंधक को भटगांव महाप्रबंधक बनाए जाने के बाद से उच्च अधिकारियों के द्वारा निर्देशित किया गया था कि बंद पड़े कोयला खदानों से बचे हुए कोयला का उत्पादन कराया जाए लेकिन भटगाँव क्षेत्र के कोयला खदानों के महाप्रबंधक की निष्क्रियता के कारण नतीजा आज वहां जा पहुंचा है जहां वर्तमान में कई कोयला खदान बंद होने के कगार पर खड़े हैं।
यूनियन नेता नेताओं के बयान
सरकार एक पॉलिसी बनाकर चल रही है की जो खदाने चल रही है उन खदानों को धीरे धीरे बंद कर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंपना जाए उसी सरकार के पॉलिसी पर प्रबंधन काम कर रही है और प्राइवेट सेक्टर को फायदा कैसे पहुंचाया उस दिशा में लगातार अग्रसर है वही ऐसी सोच के प्रति हम सभी यूनियन एक साथ मिल कर आगामी 16 फरवरी को देश व्यापी प्रदर्शन करेंगे जिसकी तैयारी देश के सभी हिस्सों में चल रहा है हम सभी यूनियन मिलकर सरकार के ऐसे सोच को कभी कामयाब नहीं होने देंगे।
सीटू के द्वारा अन्य यूनियन के साथ मिलकर इस विषय को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन किया गया है और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सीएमडी सहित कोल इंडिया के जिमेदारों को बंद हो रहे खदानों और उनको चालू तत्काल चालू करने के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया पत्र भी लिखा गया जहां महाप्रबंधक भटगांव के द्वारा समय अवधि में पूर्ण करने का आश्वासन दिया गया है यदि समय सीमा पर कार्य पूरे नहीं होते हैं तो हमारे यूनियन और अन्य यूनियन के साथ मिलकर इस दिशा में पुनः आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।