नई दिल्ली। देशभर के किसान अपनी मांगों के साथ एक बार फिर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। किसानों ने इसे ‘चलो दिल्ली मार्च’ का नाम दिया है। ट्रैक्टर-ट्रॉली से किसान अपने साथ राशन-पानी लेकर दिल्ली बॉर्डर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
अलग-अलग राज्यों से दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली के बॉर्डर सील कर दिए हैं। एक साल तक दिल्ली बॉर्डर पर धरना देकर मोदी सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त करने पर मजबूर करने में सफल रहे किसान एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ( गैर राजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा इस आंदोलन की अगुवाई कर रही है। दिल्ली कूच के साथ-साथ किसान 16 फरवरी को भारत बंद करेंगे। सरकार की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद दो साल पहले किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था। उस दौरान सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)की गारंटी देने का वादा किया था। अब किसान इसके साथ ही अपनी कुछ और मांगों पर दवाब बनाने के लिए 13 फरवरी को दिल्ली आ रहे हैं।
क्या है किसानों की मांगें
किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP को लेकर है. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाया जाए।
किसानों की मांग है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करें।
किसानों की मांग है कि कृषि ऋण को माफ कर दिया जाए।
किसानों को बिजली की दरों में रियायत मिले और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
भारत को डब्लूटीओ से बाहर निकाला जाए।
लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले।
किसानों की मांग है कि कृषि उत्पादों जैसे फल, दूध, सब्जियों, मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
किसानों और कृषि मजदूरों को पेंशन दिया जाए।
किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस हों।
किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाए।
कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास समेत सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।