Kondagaon. कोंडागांव। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को कोंडागांव में आयोजित मूल छत्तीसगढ़िया गाड़ा समाज बूढ़ादेव महोत्सव में शामिल होकर बूढ़ादेव की पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए कहा कि प्रकृति के प्रति सम्मान और पूर्वजों की वंदना जनजातीय समाज की सदियों पुरानी परंपरा है, जो छत्तीसगढ़ की धार्मिक और सांस्कृतिक आत्मा का मूल आधार है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गाड़ा समाज के लोग, जनप्रतिनिधि और स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय समाज की संस्कृति, परंपराएं और मान्यताएं इस मिट्टी की सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति आदर, जंगलों से जुड़ी जीवनशैली, पारंपरिक देवस्थानों में आस्था और सामूहिकता की भावना सदैव से छत्तीसगढ़ की पहचान रही है। सीएम साय ने कहा कि “बूढ़ादेव जनजातीय समाज के संरक्षण और आस्था का प्रतीक हैं।

उन्हें प्रणाम करना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी प्रकृति और परंपरा के प्रति गहरा सम्मान है।” उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय परंपराओं का संरक्षण करना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और ऐसी सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना हम सभी का कर्तव्य है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने गाड़ा समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा की और समाज की विभिन्न आवश्यकताओं एवं मांगों की जानकारी ली। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार जनजातीय समाज के उत्थान, उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और सांस्कृतिक विरासत के संवर्धन के लिए निरंतर काम कर रही है। बूढ़ादेव महोत्सव के दौरान पारंपरिक पूजा, जनजातीय नृत्य, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और समाज की धार्मिक विधियों का आयोजन किया गया। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया और उन्हें समाज की विशेष वंदना अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को मजबूत करते हैं। उन्होंने सभी को बूढ़ादेव महोत्सव की शुभकामनाएं दीं और प्रदेशवासियों के लिए शांति, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की।

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