Raipur. रायपुर। “उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मंगलं कुरु।” इस मंगलमंत्र के साथ आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर रायपुर स्थित अपने निवास में धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय के साथ श्रद्धा और परंपरागत विधि-विधान से माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह एवं पूजन किया। कार्यक्रम में वेद-मंत्रों की गूंज के बीच धार्मिक वातावरण बना रहा। मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी ने विधिवत पूजा-अर्चना करते हुए भगवान श्री विष्णु के योगनिद्रा से जागरण का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देवउठनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, क्योंकि इसी दिन से शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि तुलसी विवाह छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं का अभिन्न अंग है। यह पर्व हमें परिवार, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन और एकत्व की भावना सिखाता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में तुलसी को “घर की लक्ष्मी” कहा गया है, जो पवित्रता, श्रद्धा और समृद्धि का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने पूजा के बाद प्रदेश की जनता के लिए मंगलकामना करते हुए कहा, “सृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्णु और माता तुलसी की कृपा से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो, तथा समूची सृष्टि में आरोग्य, सौहार्द और मंगलमय ऊर्जा का संचार हो।”

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में निरंतर अग्रसर है। देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह जैसे उत्सव हमारी ग्रामीण और पारिवारिक संस्कृति के केंद्र में हैं, जो समाज में पारस्परिक प्रेम, सद्भाव और एकजुटता की भावना को मजबूत करते हैं। पूजन कार्यक्रम के दौरान सीमित संख्या में उपस्थित लोगों ने भी श्रद्धापूर्वक तुलसी-विवाह में सहभागिता की। मंत्रोच्चारण के बीच तुलसी के पौधे और शालिग्राम की मूर्ति का पारंपरिक रीति से विवाह संपन्न कराया गया। पूजा स्थल को फूलों, दीपों और आम्रपत्तों से सजाया गया था, जिससे पूरा परिसर भक्तिमय वातावरण में रमा रहा। मुख्यमंत्री साय ने प्रदेशवासियों से अपील की कि इस अवसर पर सभी लोग पर्यावरण संरक्षण, परिवारिक एकता और समाज कल्याण के संकल्प लें। उन्होंने कहा कि यही पर्व का वास्तविक संदेश है। “धर्म, अध्यात्म और प्रकृति का संतुलन।” पूजा-अर्चना के पश्चात मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी ने लोगों को प्रसाद वितरित किया और देवउठनी एकादशी की शुभकामनाएं दीं।

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