छत्तीसगढ़ बनने से पूर्व हमारा अंचल लंबे समय तक विकास की दौड़ में पीछे रहा।जिसके बाद यह राज्य अस्तित्व में आया और इसकी विकास यात्रा शुरू हुई। सरकार ने प्रदेश के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट के माध्यम से विकसित छत्तीसगढ़ का रोडमैप तैयार किया है, जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। हर एक प्रदेशवासी के सहयोग और भागीदारी से हम विकसित छत्तीसगढ़ का सपना पूरा हो रहा है। शिक्षा ही विकास का मूल मंत्र है। पिछले 25 वर्षों में प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की कई शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित हुई हैं। आईआईटी, आईआईएम, एम्स के साथ-साथ 10 से अधिक मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। प्रदेश के बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का सपना अब साकार हो रहा है।
आज युक्तियुक्तकरण के निर्णय से प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है। कर्रेगुट्टा जैसे सुदूर अंचलों में, जहां कभी स्कूलों में ताले लगे रहते थे, वहां भी अब शिक्षक पहुंच चुके हैं। हमने शिक्षकों की व्यवस्था में मौजूद असंतुलन को दूर किया है। छत्तीसगढ़ खनिज संपदा से भरपूर और औद्योगिक विकास की असीम संभावनाओं वाला प्रदेश है। नई औद्योगिक नीति के परिणामस्वरूप लाखों करोड़ों रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस औद्योगिक नीति में रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। आने वाले वर्षों में युवाओं को प्रदेश में ही कौशल अनुरूप रोजगार मिलेगा और उन्हें बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
संवेदनशील शासन का अर्थ है, हर बुजुर्ग तक सेवा और सुरक्षा पहुँचाना
राज्य में 35 वृद्धाश्रम सक्रिय रूप से संचालित हैं, जहाँ लगभग 1049 वरिष्ठ नागरिक भोजन, आवास, स्वास्थ्य, परामर्श और मनोरंजन की सुविधाएँ प्राप्त कर रहे हैं। गंभीर रोगों या असहाय स्थिति में रह रहे बुजुर्गों के लिए रायपुर, दुर्ग, कबीरधाम, रायगढ़, बालोद और बेमेतरा इन 6 जिलों में प्रशामक देखभाल गृह संचालित किए जा रहे हैं, जहाँ 128 वरिष्ठजनों को निःशुल्क उपचार, दवाइयाँ और नियमित स्वास्थ्य देखभाल मिल रहा है। वरिष्ठजनों की समस्याओं के निवारण हेतु स्थापित हेल्पलाइन सेवा द्वारा अब तक 2 लाख 70 हजार से अधिक प्रकरणों का समाधान किया जा चुका है। यह सेवा न केवल उनकी पहुँच बढ़ाती है, बल्कि आत्मविश्वास और सुरक्षा बोध भी जगाती है।
वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम – 2007 का राज्य में सख्ती से पालन किया जा रहा है। अनुविभाग स्तर पर – भरण-पोषण अधिकरण, जिला स्तर पर – अपीलीय अधिकरण इन व्यवस्थाओं ने बुजुर्गों को संपत्ति, सुरक्षा और भरण-पोषण से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को नियमित पेंशन सहायता प्रदान की जा रही है 60 से 79 वर्ष तक की आयु के बुजुर्गों को 500 रुपए प्रति माह और 80 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठजनों को 650 रुपए प्रति माह सहायता राशि दी जा रही है। वर्तमान में 14 लाख से अधिक बुजुर्ग इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। यह सहायता उनके जीवन में आर्थिक सुरक्षा का आधार बनती है।
राज्य सरकार की योजनाएँ गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के अधिकार को सुदृढ़ कर रही हैं। आयुष्मान भारत और शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजनाओं के तहत 8 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क उपचार मिला है। साथ ही वरिष्ठ नागरिक सहायक उपकरण प्रदाय योजना के अंतर्गत 50 हजार से अधिक बुजुर्गों को व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, छड़ी, चश्मा जैसे उपकरण प्रदान किए गए हैं।
आध्यात्मिक संतोष बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य का आधार है। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना और श्री रामलला दर्शन योजना के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिक, 278 व्यक्ति तीर्थयात्राओं का लाभ ले चुके हैं। यात्रा के दौरान भोजन, आवास और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। प्रत्येक वर्ष एक अक्टूबर वृद्धजन दिवस राज्य और जिला स्तर पर मनाया जाता है। इन कार्यक्रमों से समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान, संवेदना और सहयोग की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान केवल एक सामाजिक मूल्य नहीं, बल्कि एक कर्तव्य है।
शिक्षा की राह आसान
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शिक्षा को सबके लिए आसान बनाने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग तथा कमजोर वर्गों के छात्र-छात्राओं की शिक्षा चिंता की और उन्होंने आदिमजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित आश्रम -छात्रावास में रहकर शिक्षा अध्ययन कर रहे के बच्चों के शिक्षा को आसान बनाने के लिए यह नयी पहल की है।
आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा के प्रयासों से प्री. मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति तथा शिष्यवृत्ति भुगतान के लिए नयी व्यवस्था में माह जून, सितंबर, अक्टूबर एवं दिसंबर में विद्यार्थियों को अब ऑनलाईन भुगतान किया जा रहा है। इस पहल से विद्यार्थियों को शैक्षणिक अध्ययन के दौरान होने वाली आर्थिक समस्या से निजात मिली है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इस नयी व्यवस्था से पूर्व विद्यार्थियों को दिसंबर एवं फरवरी-मार्च में वर्ष में एक बार छात्रवृति एवं शिष्यवृति की राशि प्रदान की जाती थी।
दरअसल आश्रम छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी हो या यहां रहकर अध्ययन कर चुके विद्यार्थी हो अथवा आश्रम छात्रावासों में रहकर उच्च पदों में कार्य कर रहे विद्यार्थी क्यों न हो। वे समय पर स्कॉलरशिप नहीं मिलने के कारण की परेशानियों से भलीभांति वाकिफ हैं। वास्तव में एक विद्यार्थी को अध्ययन सामग्री क्रय करने के लिए जब पैसे की जरूरत हो उस वक्त छात्रवृत्ति और शिष्यवृत्ति की राशि उनके बैंक खातों में पहुंचना बेहद महत्वपूर्ण होता है। छात्रावासी विद्यार्थियों की इस परेशानी को दूर करने के लिए प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा सहित विभागीय अमलों ने संवेदनशीलता के साथ कितनी मशक्कत की होगी यह किसी से छिपा नहीं है। इसी का परिणाम है कि विभाग आश्रम छात्रावास के बच्चों के छात्रवृत्ति के लिए की गई तय सीमा से लाखों विद्यार्थियों को लाभ मिलना लाजिमी है।
छात्रावास में रहने वाले बच्चों की अधिकतर आवश्यकताएँ सरकार द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन छात्रवृत्ति उन्हें व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने की स्वतंत्रता देती है। इससे वे किताबें, स्टेशनरी व अन्य जरूरी सामान स्वयं खरीद सकते हैं। जब यह सहायता समय पर मिलती है, तो विद्यार्थी बिना किसी चिंता के अपनी पढ़ाई जारी रख पाते हैं और उनका ध्यान पढ़ाई से भटकता नहीं है। समय पर छात्रवृत्ति मिलने से बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
समय पर छात्रवृत्ति मिलने से न केवल बच्चों की शैक्षिक यात्रा आसान होती है, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा की ओर बढ़ने का प्रोत्साहन भी मिलता है। वे यह सोचने लगते हैं कि यदि अभी उन्हें सहायता मिल रही है तो आगे भी मिलेगी, जिससे वे कॉलेज या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की ओर अग्रसर होते हैं। इससे राज्य में एक शिक्षित, आत्मनिर्भर और जागरूक युवा पीढ़ी का निर्माण होता है। अंत में, यह कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों को निर्धारित समय पर स्कॉलरशिप देने की प्रक्रिया से छत्तीसगढ़ में समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में आसान होगी।
खनन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ बना देश का आदर्श राज्य
खनिज संपदा से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य ने हाल के वर्षों में खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी नवाचार को केंद्र में रखकर राज्य ने खनिज प्रशासन में अनेक संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिनके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी खनन राज्यों में सम्मिलित हो गया है। राज्य में विश्वस्तरीय लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, बाक्साइट, टिन अयस्क सहित नवीन अन्वेषणों से क्रिटिकल, स्ट्रैटेजिक तथा रेयर अर्थ मिनरल्स की उपलब्धता प्रमाणित हुई है, जिससे राज्य की वैश्विक पहचान सुदृढ़ हुई है।
छत्तीसगढ़ का खनन क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जबकि देश के कुल खनिज उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17 प्रतिशत है। राज्य के खनिज राजस्व में 25 सालों में 34 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। राज्य गठन के समय जहाँ खनिज राजस्व मात्र 429 करोड़ रुपये था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 14,592 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यह उपलब्धि राज्य की सुदृढ़ खनिज नीति और सतत प्रशासनिक सुधारों का परिणाम है।
वर्ष 2015 में संशोधित खनन एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत गठित खनिज नीलामी नियम 2015 के तहत अब तक राज्य में 60 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की जा चुकी है। इनमें 15 लौह अयस्क, 14 बाक्साइट, 18 चूना पत्थर तथा 13 क्रिटिकल व स्ट्रैटेजिक खनिज ब्लॉक सम्मिलित हैं। साथ ही, 05 नए ब्लॉकों (02 चूना पत्थर, 01 लौह अयस्क, 01 स्वर्ण और 01 बेस मेटल ब्लॉक) की नीलामी प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा चुकी है।
संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, छत्तीसगढ़ ने खनन अनुसंधान एवं अन्वेषण के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग के लिए आईआईटी मुंबई, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद तथा कोल इंडिया लिमिटेड के साथ एमओयू संपादित किए हैं। इस साझेदारी के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रैटेजिक मिनरल्स की खोज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गति प्राप्त हुई है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के गाइडलाइन-2024 के अनुरूप राज्य में जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2025 अधिसूचित किए गए हैं। राज्य में अब तक 16,119 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ है, जिसके अंतर्गत 1,05,653 कार्यों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 74,454 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं। वित्तीय स्वीकृति, निगरानी और प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु डीएमएफ पोर्टल 2.0 को क्रियान्वित किया गया है।
खनिज विभाग द्वारा विकसित खनिज ऑनलाइन 2.0 पोर्टल ने राज्य के खनिज प्रशासन को पूर्णतः डिजिटल स्वरूप प्रदान किया है। यह प्रणाली सुरक्षित, बहुआयामी और उपयोगकर्ता-मित्र है, जो पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देती है। यह पहल छत्तीसगढ़ को खनन प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित कर रही है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के सिद्धांतों के अनुरूप राज्य में रेत खदानों का आबंटन अब पूर्णतः ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से किया जा रहा है। इस हेतु एमएसटीसी के साथ एमओयू किया गया है। नई व्यवस्था में मानव हस्तक्षेप समाप्त कर संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष एवं सुरक्षित बनाई गई है।
गौण खनिज नियम, 2015 के अंतर्गत लागू की गई स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत खनन, पर्यावरण प्रबंधन, सुरक्षा उपाय और सतत विकास के मानकों पर खदानों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इस व्यवस्था के अंतर्गत 03 खदानों को 5-स्टार तथा 32 खदानों को 4-स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है, जो वैज्ञानिक एवं जिम्मेदार खनन की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि खनिज संपदा केवल आर्थिक स्रोत नहीं, बल्कि राज्य के सर्वांगीण विकास का आधार है। छत्तीसगढ़ ने खनन क्षेत्र में नीतिगत सुधार, डिजिटल पारदर्शिता और सतत विकास के समन्वित प्रयासों से एक आदर्श प्रशासनिक मॉडल प्रस्तुत किया है। राज्य की यह प्रगति न केवल आर्थिक सुदृढ़ता का संकेत है, बल्कि यह जनहित आधारित विकास की दिशा में एक स्थायी कदम भी है।
प्रदेश की जीडीपी को दोगुना कर 75 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करते हुए विकास यात्रा का नया अध्याय लिखा है। नई उद्योग नीति ने छत्तीसगढ़ को निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बना दिया है। अब तक लगभग 6.65 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित हुआ है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ स्पीड ऑफ डूइंग बिजनेस को भी प्राथमिकता दी गई है। एमएसएमई स्टार्टअप और नई टेक्नॉलॉजी आधारित उद्योगों को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। कोरबा जिले के पॉवर एवं मेटल सेक्टर से लेकर दुर्ग-राजनांदगांव के इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तक नए औद्योगिक केंद्र विकसित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहाँ लिथियम ब्लॉक की सफलतापूर्वक नीलामी की गई। छत्तीसगढ़ राज्य ऊर्जा उत्पादन में तेजी से प्रगति कर रहा है। अभी हम विद्युत उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर हैं। राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 30 हजार मेगावॉट है और वर्ष 2030 तक यह क्षमता देश में प्रथम स्थान पर पहुँच जाएगी।
छत्तीसगढ़ तेजी से सोलर क्रांति की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना सर्वाधिक लोकप्रिय योजना बन गई है। बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की छत पर सोलर पैनल लगाकर इसका लाभ उठाने लगे है। वर्ष 2027 तक 5 लाख घरों में सोलर पैनल के माध्यम से मुफ्त बिजली की व्यवस्था का लक्ष्य रखा गया है।
छत्तीसगढ़ में रेलवे नेटवर्क, राष्ट्रीय राजमार्ग, एयरपोर्ट और इंटीरियर कनेक्टिविटी पर तेजी से काम हो रहा है। राजधानी रायपुर, नया रायपुर और भिलाई को मिलाकर स्टेट कैपिटल रीजन विकसित किया जा रहा है, जो भविष्य में 50 लाख आबादी की जरूरतें पूरी करेगा।
राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। धान के साथ-साथ कोदो, कुटकी, रागी जैसी मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है। कृषक उन्नति योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सिंचाई पम्पों को निःशुल्क बिजली की उपलब्धता एवं कृषि कल्याण के अन्य कार्यक्रमों से किसान सशक्त हो रहे हैं। लघु वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। इससे न केवल वनवासियों की आय बढ़ी है बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं।
राज्य सरकार ने सुशासन को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता बनाई है। ऑनलाइन सेवाओं के विस्तार से नागरिक घर बैठे राजस्व, पेंशन और प्रमाण पत्र जैसी सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए विशेष योजनाएँ लागू की गई हैं। कल्चर पार्क और फिल्म सिटी की स्थापना की पहल के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। खेलों के क्षेत्र में नए स्टेडियम और प्रशिक्षण केंद्रों का विकास युवाओं को नए अवसर प्रदान कर रहा है।
छत्तीसगढ़ आज आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है। सड़क, रेल, उद्योग, ऊर्जा, कृषि, शिक्षा-स्वास्थ्य, सुशासन और सांस्कृतिक सहित हर क्षेत्र में संतुलित विकास हो रहा है।
व्यापार और वाणिज्य को नई गति
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पारित माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025, राज्य में व्यापार एवं वाणिज्य को सरल, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को कानूनी राहत, कारोबारी प्रक्रियाओं को सरल बनाना, कर मामलों का शीघ्र निराकरण और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
विधेयक में इनपुट टैक्स क्रेडिट के प्रावधानों को और स्पष्ट किया गया है ताकि कारोबार, कर भुगतान और क्रेडिट के उपयोग में पारदर्शिता आ सके। विशेष श्रेणी के लेन-देन (जैसे सेज, निर्यात, वेयरहाउस परिसंचरण) को स्पष्ट परिभाषित किया गया है। साथ ही वित्त अधिनियम, 2025 के केंद्र सरकार के संशोधनों के अनुरूप कई तकनीकी और प्रक्रियागत बदलाव किए गए हैं। माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025 के अनुसार इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर नियम में संशोधन किया गया है। अब आईजीएसटी में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत प्राप्त इनपूट टैक्स क्रेडिट का वितरण अपनी शाखाओं में करने की अनुमति मिलेगी। इससे जीएसटी अधिनियम की विसंगतियां दूर होंगी और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा मिलेगा।
विधेयक में ऐसे पेनाल्टी की राशि जिसमें टैक्स डिमांड शामिल नहीं है ऐसे प्रकरणों में अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के लिए पूर्व डिपोजिट 25 प्रतिशत राशि को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार वाउचर टैक्स निर्धारण को और अधिक स्पष्ट किया गया है। पहले जीएसटी प्रणाली में वाउचर पर कर निर्धारण के संबंध स्थिति स्पष्ट नही थी इस पर जीएसटी कब लगेगा इन्हें जारी करने के समय या इन्हें रिडीम करते समय इस संबंध में विभिन्न एंडवास रूलिंग अथारिटी मत भिन्नता थी। संशोधन विधेयक के अनुसार अब वाउचर रिडीम करते समय जीएसटी लगेगा।
तंबाकू आदि उत्पादों के लिए ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म लागू किया गया है, जिससे उनकी आपूर्ति श्रृंखला की कड़ी निगरानी हो सकेगी। ऐसे उत्पादों के सभी यूनिट पैकेट में एक क्यूआर कोड अंकित करना होगा, जिसे स्कैन करने पर निर्माता, उत्पाद, एमआरपी, विक्रेता, बिल आदेश, भुगतान के सभी रिकार्ड आदि जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही निर्माता और होलसेलर को इन यूनिट पैकेट के मूव्हमेंट का रिकार्ड रखना होगा। ताकि जांच एजेंसियों को किसी भी समय ऐसी सूचनाएं उपलब्ध हो सके।
विशेष आर्थिक क्षेत्र को प्रोत्साहन के तहत इन विशेष क्षेत्रों के वेयर हाउस में रखे गए वस्तुओं के निर्यात किए जाने से पूर्व वस्तुओं के फिजिकल मूवमेंट के बिना क्रय विक्रय किए जाने पर अब जीएसटी नहीं लगेगा। यह बदलाव सेज में निवेश और कारोबार को बढ़ावा देगा तथा ये क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे। विधेयक में ‘प्लांट या मशीनरी’ शब्दों के स्थान पर ‘प्लांट और मशीनरी‘ शब्दो को प्रतिस्थापित किया गया है। प्लांट शब्द में ‘भवन‘ सम्मिलित नहीं होगा एवं इस पर इनपुट क्रेडिट की पात्रता नहीं होगी। डिजिटल मुहर, डिजिटल चिन्ह या किसी प्रकार का अन्य चिन्हांकन सहित ‘विशिष्ट पहचान चिह्नांकन’ का प्रावधान भी शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ की उपलब्धियां
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2024-25 में राज्य को 16,299 करोड़ रूपए जीएसटी राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38 प्रतिशत है। इस वर्ष 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई और छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर रहा। राज्य के भीतर माल परिवहन के लिए ई-वे बिल की सीमा 50,000 रूपए से बढ़ाकर 1,00,000 रूपए कर दी गई है, जिससे 26 प्रतिशत छोटे व्यापारियों को कागजी कार्यवाही से राहत मिली है।
नई सरकार के गठन के बाद से 43,612 नए पंजीकरण किए गए हैं। पंजीकरण प्रक्रिया को 13 दिनों से घटाकर अब सिर्फ 2 दिन में पूर्ण किया जा रहा है। पूर्व में केवल 15 जिलों में जीएसटी कार्यालय थे, अब राज्य के 33 जिलों में कार्यालय स्थापित कर दिये गये हैं। कर अपवंचन की रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स और बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट का गठन किया गया है।
रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निवेश का नया केंद्र बनने की ओर
छत्तीसगढ़ राज्य अब केवल खनिज और कृषि प्रधान राज्य नहीं रह गया है, बल्कि तकनीकी नवाचार और रणनीतिक उद्योगों का नया गढ़ बनकर उभरने की दिशा में अग्रसर है। इस परिवर्तन की आधारशिला मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में रखी गई है, जिन्होंने न केवल राज्य की औद्योगिक नीतियों को समकालीन और रोजगारोन्मुख बनाया, बल्कि रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं।
मुख्यमंत्री साय ने मंत्रिपरिषद की बैठक में इन उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए पृथक औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई। यह पैकेज न केवल इन क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करेगा, बल्कि राज्य के युवाओं के लिए सेवा और रोजगार के अवसरों के नए द्वार भी खोलेगा। छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत तैयार किया गया यह विशेष पैकेज अत्याधुनिक उद्योगों की स्थापना और विस्तार को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े उद्यमों को स्थायी पूंजी निवेश के आधार पर 100 प्रतिशत तक की एसजीएसटी प्रतिपूर्ति या वैकल्पिक रूप से पूंजी अनुदान की सुविधा दी जाएगी। 50 करोड़ से लेकर 500 करोड़ से अधिक के निवेश करने वाली इकाइयों के लिए 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 300 करोड़ रुपये तक तय की गई है। इसके साथ ही, निवेशकों को ब्याज अनुदान, विद्युत शुल्क में छूट, स्टाम्प और पंजीयन शुल्क में रियायतें, भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क में छूट, रोजगार सृजन पर आधारित प्रोत्साहन, ईपीएफ प्रतिपूर्ति और प्रशिक्षण अनुदान जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी।
इस नीति का सबसे प्रभावशाली पहलू यह है कि इसमें स्थानीय युवाओं के लिए स्थायी रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गई है। जो उद्योग छत्तीसगढ़ के निवासियों को पहली बार रोजगार देंगे, उन्हें दिए गए वेतन का 20 प्रतिशत तक अनुदान भी मिलेगा। यह राज्य सरकार की उस सोच का परिणाम है, जिसमें ‘विकास’ केवल आंकड़ों तक सीमित न रहकर आम जनता के जीवनस्तर में वास्तविक सुधार का माध्यम बने।
रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की स्थापना पर व्यय का 20 प्रतिशत तक अनुदान, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना पर पूंजी निवेश अनुदान तथा ड्रोन प्रशिक्षण केंद्रों के लिए विशेष सहायता जैसी व्यवस्थाएं राज्य को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अग्रणी बनाएंगी। जो इकाइयां 1000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेंगी या 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देंगी, उन्हें अतिरिक्त औद्योगिक प्रोत्साहन भी मिलेगा। इससे वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कंपनियों को राज्य में निवेश हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का मानना है कि छत्तीसगढ़ में औद्योगिक निवेश के नए अवसरों के साथ ही रोजगार, तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का एक समेकित पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाए। छत्तीसगढ़ का युवा केवल नौकरी खोजने वाला न बने, बल्कि नौकरी देने वाला भी बने। यह औद्योगिक नीति मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप राज्य को नई पहचान दिलाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। छत्तीसगढ़ अब पारंपरिक उद्योगों से आगे बढ़ते हुए रक्षा और एयरोस्पेस जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों में निवेश का गंतव्य बनता जा रहा है। यह न केवल राज्य की आर्थिक समृद्धि को गति देगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को सपनों की नई ऊंचाई तक ले जाने का मार्ग भी खोलेगा।
नवा रायपुर मेडिसिटी
स्वास्थ्य, शिक्षा और अनुसंधान किसी भी विकसित समाज की असली नींव होते हैं। भारत जब वर्ष 2047 के विकसित राष्ट्र के संकल्प की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तब गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ हमारी प्रमुख प्राथमिकता बन चुकी हैं। इसी दृष्टि से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवा रायपुर अटल नगर में विकसित की जा रही ‘मेडिसिटी’ परियोजना न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे मध्य भारत में स्वास्थ्य सेवा के नए युग की शुरुआत कर रही है।
नवा रायपुर अटल नगर पहले से ही शिक्षा, परिवहन, उद्योग और आधुनिक शहरी ढांचे का प्रमुख केंद्र रहा है। अब मेडिसिटी इसे राष्ट्रीय स्तर पर हेल्थकेयर की राजधानी के रूप में स्थापित करने जा रहा है। अत्याधुनिक कनेक्टिविटी, व्यापक परिवहन नेटवर्क और भौगोलिक दृष्टि से रणनीतिक स्थिति नवा रायपुर को न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि ओडिशा, मध्यप्रदेश, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों के लिए भी उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख गंतव्य बना रही है। हर वर्ष 7 करोड़ से अधिक यात्री यहां के एयरपोर्ट और रेल सेवाओं का उपयोग करते हैं, और जल्द ही शुरू होने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बाद मेडिकल टूरिज्म के विस्तृत अवसर यहां खुलने वाले हैं।
सेक्टर 36–37 में 200 एकड़ में विकसित की जा रही मेडिसिटी में 5,000 से अधिक बेड की क्षमता और देश के अग्रणी हेल्थकेयर समूहों की भागीदारी इस परियोजना को देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य शहर के रूप में स्थापित करेगी।
मेडिसिटी में मेडिकल यूनिवर्सिटी, नर्सिंग कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किए जा रहे हैं ताकि डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल पेशेवरों की नई और सक्षम पीढ़ी तैयार हो सके। कार्डियोलॉजी, कैंसर साइंस, न्यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, ऑर्गन ट्रांसप्लांट और मल्टी–स्पेशियलिटी अस्पतालों के साथ अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक्स लैब्स यहां स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे। मरीजों और उनके परिजनों के लिए आवासीय परिसर, छात्रावास, होटल और धर्मशाला जैसी सुविधाएँ इस पूरे क्षेत्र को एक व्यवस्थित ह्यूमन–सेंट्रिक मेडिकल ज़ोन में बदल देंगी। ‘वॉक-टू-हॉस्पिटल’ मॉडल, पर्यावरण अनुकूल डिजाइन, सुगम सार्वजनिक परिवहन कनेक्टिविटी और पीएमजेएवाई व सीजीएचएस जैसी योजनाओं के तहत किफायती उपचार सेवाएँ इस परियोजना को पूरी तरह समावेशी बनाती हैं।
उल्लेखनीय है कि नवा रायपुर में पहले से सक्रिय उत्कृष्ट स्वास्थ्य संस्थान इस संरचना को और भी मजबूत आधार प्रदान करते हैं। श्री सत्य साई संजीवनी हॉस्पिटल 2012 से बाल हृदय रोग के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का अग्रणी केंद्र है, जहाँ भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों से भी मरीज आते हैं। वहीं 2018 से संचालित 170 बिस्तरों वाला बालको कैंसर हॉस्पिटल सेंट्रल इंडिया के 500–600 किमी के दायरे में अत्याधुनिक कैंसर उपचार उपलब्ध कराता है। रायपुर का स्वच्छ वातावरण और कम जीवन–यापन लागत मरीजों के लिए इसे और उपयुक्त बनाती है।
मेडिसिटी केवल एक स्वास्थ्य परियोजना नहीं बल्कि आर्थिक गतिविधियों का भी विशाल केंद्र बनेगी। स्वास्थ्य, फार्मा, वेलनेस और सपोर्ट सेवाओं में हजारों रोजगार सृजित होंगे। इसके आसपास किफायती आवास, व्यापारिक प्रतिष्ठान और नई सेवा गतिविधियों का विस्तार राज्य की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
नवा रायपुर मेडिसिटी छत्तीसगढ़ सरकार का वह संकल्प है जो कहता है—सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य, कम लागत में उच्च सुविधा और सुरक्षित जीवन की गारंटी। यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि भारत के स्वस्थ, सुरक्षित और विकसित भविष्य की नई परिभाषा है। आने वाले वर्षों में नवा रायपुर अटल नगर मेडिसिटी न सिर्फ मध्य भारत बल्कि पूरे देश के स्वास्थ्य परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श हेल्थकेयर मॉडल के रूप में स्थापित होगी।
नवा रायपुर मेडिसिटी छत्तीसगढ़ की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का ऐसा इंजन बनेगी, जो आने वाले दशकों तक राज्य की विकास रफ्तार को नई दिशा देगा। 200 एकड़ में विकसित हो रही यह विश्वस्तरीय हेल्थकेयर सिटी न सिर्फ उन्नत चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करेगी, बल्कि स्वास्थ्य, फार्मा, वेलनेस, शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में हजारों रोजगार सृजित कर राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देगी। एम्स, बॉम्बे हॉस्पिटल ट्रस्ट, मेडिकल यूनिवर्सिटी और सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों की स्थापना से नवा रायपुर राष्ट्रीय हेल्थ हब के रूप में उभरेगा। मेडिसिटी का मॉडल ‘सुलभता, किफायत और उच्च गुणवत्ता’ के सिद्धांतों पर आधारित है और यह आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को मेडिकल टूरिज्म, रिसर्च और हेल्थ इकोनॉमी का अग्रणी केंद्र बनाएगा।
नवा रायपुर अटल नगर में विकसित की जा रही मेडिसिटी मध्य भारत में स्वास्थ्य क्रांति की नई शुरुआत है। 200 एकड़ में विकसित हो रहा यह विशाल हेल्थकेयर सिटी आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ ही नहीं, ओडिशा, मध्यप्रदेश, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र सहित पूरे क्षेत्र को अत्याधुनिक, सुलभ और किफायती चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करेगा। ‘नवा रायपुर मेडिसिटी’ उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ, मेडिकल शिक्षा, अनुसंधान और मेडिकल टूरिज्म सभी को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराते हुए भारत के विकसित भविष्य की मजबूत आधारशिला बनेगी।
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