Raipur. रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डॉ. संतोष सिंह की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण विषय ‘संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों (UN Peacebuilding Efforts)’ पर आधारित किताब का प्रकाशन दिल्ली के प्रतिष्ठित मानक पब्लिकेशन द्वारा किया गया है। यह किताब वैश्विक स्तर पर शांति स्थापना, शांति निर्माण और संघर्ष-निवारण के बदलते स्वरूप पर केंद्रित है। डॉ. सिंह वर्तमान में पुलिस मुख्यालय रायपुर में डीआईजी, सीसीटीएनएस/एससीआरबी के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने किताब की प्रति छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और डीजीपी श्री अरुण देव गौतम को भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. सिंह को उनके इस शोधपरक कार्य के लिए बधाई दी और कहा कि “ऐसे बौद्धिक योगदान से न केवल पुलिस सेवा की छवि सशक्त होती है, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका पर भी सार्थक विमर्श आगे बढ़ता है।”
किताब में डॉ. सिंह ने शीत युद्ध के बाद बदलती अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र के ‘पीसकीपिंग’, ‘पीसमेकिंग’ और ‘पीसबिल्डिंग’ मिशनों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने बताया है कि इक्कीसवीं सदी में विश्व समुदाय का ध्यान केवल युद्धविराम या संघर्ष-प्रबंधन से आगे बढ़कर स्थायी शांति-निर्माण की ओर केंद्रित हुआ है। किताब में यूएन पीसबिल्डिंग कमीशन के कार्यों, उसके पर्यवेक्षण में चल रहे मिशनों और विभिन्न देशों में किए जा रहे प्रयासों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
लेखक ने विशेष रूप से उन तत्वों की पड़ताल की है, जिनसे युद्धग्रस्त या हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में स्थाई शांति स्थापित की जा सकती है। पुस्तक में संयुक्त राष्ट्र के मिशनों में भारत की भूमिका को भी प्रमुखता से स्थान दिया गया है। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश है। वर्ष 1950 से अब तक भारत ने 49 शांति मिशनों में भाग लिया है और लगभग दो लाख शांतिसैनिकों का योगदान दिया है। वरिष्ठ भारतीय पुलिस एवं सैन्य अधिकारी इन मिशनों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते आए हैं।
डॉ. सिंह की यह किताब विदेश नीति के नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जा रही है। इसमें संयुक्त राष्ट्र की नीतियों के सैद्धांतिक ढांचे के साथ-साथ जमीनी स्तर पर उनकी चुनौतियों और परिणामों की गहन समीक्षा की गई है। लेखक का मानना है कि “शांति केवल संघर्ष समाप्ति का नाम नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता की निरंतर प्रक्रिया है।” किताब की खासियत यह है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के साथ भारत जैसे देशों के संदर्भ को भी रेखांकित किया गया है। यह पुस्तक न केवल वैश्विक शांति मिशनों को समझने का दस्तावेज है, बल्कि भारत के अंदरूनी हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में स्थाई शांति स्थापित करने के लिए भी उपयोगी दिशा देती है।
डॉ. संतोष सिंह की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी इस विषय को और अधिक विश्वसनीय बनाती है। उन्होंने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग से डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है। इसके पहले उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी से राजनीतिशास्त्र में एमए किया। उनका एमफिल शोध विषय “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों की भागीदारी” पर केंद्रित था। डॉ. सिंह के कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल में शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें शांति, सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर उनका विश्लेषण सराहनीय रहा है। पुस्तक का प्रकाशन न केवल छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि प्रशासनिक और पुलिस सेवा से जुड़े अधिकारी अपने व्यावहारिक अनुभव को अकादमिक और नीति विमर्श के रूप में विश्व स्तर पर साझा कर रहे हैं।
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